पीएम मोदी ने परिवारवादी राजनीति के नुकसान गिनाए, मां के बूस्टर डोज नहीं लगवाने की वजह भी बताई

    अमेठी में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि आज का दिन उनके लिए बेहद खास है। आज ही के दिन उन्होंने चुनावी राजनीति की शुरुआत की थी। प्रधानमंत्री ने कहा, आज यूपी में आपको ऐसे परिवार खोजना मुश्किल होगा जिसकी हमारी सरकार ने सेवाभाव से सहायता ना की हो। सौ साल के इस सबसे बड़े संकट में भाजपा सरकार ने सबकी मदद का प्रयास हमेशा जारी रखा। सोलह करोड़ से ज्यादा लोगों को वैक्सीन की पहली डोज लग चुकी है। करीब 12 करोड़ लोगों को दूसरी डोज लग चुकी है।

    नियमों के पालन का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने खुद से जुड़ी दो बातें बताईं। बोले, ‘जब वैक्सीनेशन शुरू हुआ तो मैं खुद पहले वैक्सीन लगवाने नहीं पहुंचा। मैंने भी वैक्सीन तब लगवाई जब नियम से मेरा नंबर आया। मेरी मां सौ साल की हैं। उन्होंने भी लाइन नहीं तोड़ी। जब उनका नंबर आया तब वो वैक्सीन लगवाने पहुंचीं। इतना ही नहीं अब बूस्टर डोज, तीसरे डोज की चर्चा चल रही है। लेकिन, मेरी मां ने नहीं लगवाई। क्योंकि भले उनकी उम्र सौ साल है लेकिन कोई और बीमारी नहीं होने के कारण उनका नंबर नहीं लगता है इसलिए उन्होंने नहीं लगवाई। कानून नियमों का पालन प्रधानमंत्री भी करता है और प्रधानमंत्री की सौ साल की मां भी करती है।

    वोटबैंक की राजनीति पर क्या बोले प्रधानमंत्री?

    प्रधानमंत्री ने कहा कि वोट बैंक की पॉलिटिक्स और परिवारवादी राजनीति, दोनों ने देश का बहुत नुकसान किया है। जब आप वोट बैंक की पॉलिटिक्स करते हैं। किसी का तुष्टिकरण करते हैं तो इसका सीधा मतलब होता है कि समाज के एक बड़े वर्ग से आप विकास का हक छीन रहे हैं। जब आप परिवारवादी राजनीति करते हैं तो इसका मतलब होता है कि आप एक सामान्य आदमी से उसके आगे बढ़ने का हक छीन रहे हैं। एक समय था जब इन नेताओं ने वोटबैंक की राजनीति, तुष्टिकरण को बढ़ावा दिया, उसे खाद-पानी दिया। आज वोट बैंक और तुष्टिकरण की इसी राजनीति ने इन नेताओं को अपना बंधक बना लिया है। अब वोट बैंक की राजनीति ही इन दलों की मजबूरी बन गयी है। इसलिए उनका हर फैसला इसी वोटबैंक की पॉलिटिक्स को ध्यान में रखकर होता है। भले ही वो फैसला देश हित के खिलाफ हो। उनको देश की नहीं वोट बैंक की चिंता रहती है। ये लोग हमारी सेनाओं का अपमान करते हैं, हमारी पुलिस का अपमान करते हैं। क्योंकि ऐसे करने से उनके वोटबैंक को खुशी होती है।

    मोदी ने परिवारवादी राजनीति के क्या नुकसान बताए?

    मोदी ने कहा, ‘परिवारवादी राजनीति से भी देश को बहुत नुकसान होता है। परिवारवादी राजनीति में पार्टी का अध्यक्ष परिवार से होता है। पार्टी के सभी अहम पदों पर परिवार के लोग बैठे होते हैं। सभी अहम पदों पर भी परिवार के लोगों की दावेदारी होती है। पार्टी के भीतर कोई आंतरिक लोकतंत्र नहीं होता है। पिता के बाद बेटा, फिर बेटे के बाद बेटा या बेटी या बहू। उन्हीं लोगों को पद पर रहने का हक मिला जाता है। इन पार्टियों में जो परिवार को समर्पित होता है उसी को वहां कुछ अवसर मिलता है। उनके लिए संविधान सुप्रीम नहीं होता है। परिवार का सुप्रीमो ही सुप्रीम होता है। वहां वह देश के लिए कुछ नहीं कर पाता है। ऐसी पार्टियों में कार्यकर्ता के लिए स्पष्ट संदेश होता है कि मेहनत आप करिए फल हम खाएंगे।’

    परिवारवादी पार्टियों के सत्ता चलाने का भी बताया फॉर्मूला

    प्रधानमंत्री ने कहा, ‘इन घोर परिवारवादियों ने सरकार चलाने का भी फॉर्मूला निकाल रखा है। ये लोग अलग-अलग जिलों से मंत्री तो बना लेते हैं। अपने वोट बैंक के हिसाब से मंत्री भी ले आते हैं। लेकिन, इन मंत्रियों के पास कोई अधिकार नहीं होता है। ये क्या करते है कि अपने परिवार के लोगों को जो चुनाव जीतकर नहीं आए हैं। उन्हें इलाके बांट देते हैं। भतीजे को कहते हैं ये दो जिले तुम्हारें, भांजे को कहते हैं ये दो जिले तुम्हारे, बहन को कहते हैं ये दो जिले तुम्हारे। अफसरों को भी मालूम होता है कि जो मंत्री बनाए हैं वो तो बस नाम के हैं। असली मंत्री तो जो परिवार का होता है। विभागों को भी परिवार के सुपर मिनिस्टर को बांट दिया जाता है। अफसर को भी मालूम होता है कि कोई काम करने की जरूरत नहीं है। बस सुपर मिनिस्टर को संभालना है। अपना काम होता रहेगा, अच्छी पोस्टिंग मिलती रहेगी। इसलिए सरकारी तंत्र भी बरबाद हो जाता है। भाजपा पिता एंड संन्स की प्राइवेट पार्टी नहीं है। ना ही कभी हो सकती है। बीते कई दशकों से कांग्रेस हो या सपा दोनों एक ही परिवार के बंधक बनकर रह गई हैं।’

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