मालेगांव ब्लास्ट केस में करीब 17 साल बाद एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने बीजेपी की पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत सभी सातों आरोपियों को गुरुवार को बरी कर दिया. कोर्ट ने कहा कि उनके खिलाफ कोई विश्वसनीय और ठोस सबूत नहीं हैं. इस बम विस्फोट में 6 लोगों की जान चली गई थी. इस घटना को लेकर भगवा आतंकवाद के भी आरोप लगे. वहीं कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि कोई भी धर्म हिंसा नहीं सिखाता है. आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, लेकिन अदालत सिर्फ धारणा के आधार पर दोषी नहीं ठहरा सकती. एनआईए के मामलों की सुनवाई के लिए यहां नियुक्त विशेष न्यायाधीश एके लाहोटी ने अभियोजन पक्ष के मामले और जांच में कई खामियों को उजागर किया और कहा कि आरोपी व्यक्ति संदेह का लाभ पाने के हकदार हैं. गुरुवार को कोर्ट ने जब ये फैसला सुनाया, तो कोर्टरूम खचाखच भरा था. फैसले के लिए 11 बजे का वक्त तय था, लेकिन सभी आरोपी 10 बजे से ही कोर्ट में आना शुरू हो गए थे. इसके साथ ही कोर्ट में दोनों पक्षों के लोग, पत्रकार और वकील भी बैठे हुए थे.