रूस और यूक्रेन के बीच पिछले साढ़े तीन साल से जारी जंग कब रुकेगी? यह वह सवाल है जिसका जवाब किसी के पास नहीं लेकिन उसके जवाब पर पूरी दुनिया की नजर टिकी है. अब रूस के साथ किसी भी सीजफयार समझौते के बाद 26 देशों ने यूक्रेन की सुरक्षा गारंटी के लिए अपनी सेना भेजने की पेशकश की है. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैंक्रो ने गुरुवार को एक शिखर सम्मेलन के बाद यह जानकारी दी और कहा कि आने वाले दिनों में यह पता चलेगा कि अमेरिका इसमें अपना समर्थन देगा या नहीं.यूक्रेन में शांति समझौता होने पर उसकी सुरक्षा गारंटी सुनिश्चित करने के लिए एक शिखर सम्मेलन हुआ. इस गठबंधन का नाम कीव “कोएलिशन ऑफ विलिंग्स” है. इस शिखर सम्मेलन के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंस भी किया गया.उन्होंने कहा कि “यह फोर्स रूस के खिलाफ कोई युद्ध छेड़ना नहीं चाहती है”. मैंक्रो ने कहा कि यूरोप की इस सुरक्षा गारंटी को अमेरिका अपना समर्थन देगा या नहीं, इसे “आने वाले दिनों में” अंतिम रूप दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि सुरक्षा प्रयासों में भाग लेने के लिए अमेरिका तत्पर है या नहीं, इसके संबंध में “कोई संदेह नहीं” है.यूक्रेन ने कहा शुक्रिया तो रूस ने दिया यह साफ जवाबयूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोडिमिर जेलेंस्की ने युद्ध के बाद यूक्रेन में सेना भेजने पर सहमति जताने के लिए यूरोपीय सहयोगियों को धन्यवाद दिया और इस कदम को पहला “ठोस कदम” बताया. जेलेंस्की ने रिपोर्टरों से कहा, “मुझे लगता है कि आज, लंबे समय में पहली बार, यह पहला इतना गंभीर ठोस कदम है.”