तेजस्वी की बदली रणनीति, MY से PDA की ओर बढ़े, क्या RJD लगाएगी ऊंची छलांग?

बिहार की मिलीजुली लेकिन जटिल राजनीतिक पटल पर राष्ट्रीय जनता दल (आरेजेडी) लंबे समय से एक तगड़े खिलाड़ी की तरह मौजूद है, जहां इसकी जड़ें मुस्लिम-यादव गठजोड़ में मजबूती से धंसी हुई है. अक्सर एमवाई समीकरण के तौर पर राज्य में जाना जाने वाला ये समीकरण आरजेडी के लिए जहां एक ओर आधारभूत ताकत रहा है तो वहीं दूसरी तरफ सबसे बड़ी कमजोरी भी है. लंबे समय तक इसी सामाजिक आधार ने आरजेडी को अच्छा वोट दिलाया, लेकिन इस पर अधिक निर्भरता ने पार्टी के वोट शेयर को करीब 30 फीसद तक सीमित कर दिया है.2020 में महागठबंधन की हिस्सा बनने के बाद जब आरजेडी ने बिहार विधानसभा चुनाव में केवल 144 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे, तो उसका वोट शेयर और घट गया. हालांकि जैसे-जैसे राजनीति की घड़ी में बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखें करीब आ रही हैं, तेजस्वी एक नया रास्ता अख्तियार करते दिख रहे हैं- एक ऐसा रास्ता जो गठबंधन के सदस्यों को मजबूत करने के साथ ही उनकी अपनी पार्टी की अपील को भी राज्य के मतदाताओं के बीच बढ़ा सकता हैकुछ सीटों पर आरजेडी, कांग्रेस, लेफ्ट और वीआईपी जैसी पार्टियों के बीच दोस्ताना लड़ाई के मद्देनजर अब तक कि अधिकतर राजनीतिक रिपोर्ट्स महागठबंधन पर प्रहार करती नजर आती हैं. लेकिन तेजस्वी की पार्टी के जनाधार में संभावित बढ़त वाली इस रणनीति की बात अधिकतर राजनीतिक रिपोर्ट्स से नदारद हैं.

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