इलाहबाद हाई कोर्ट ने मुज़फ्फरनगर से जुड़े मामले में एक युवती द्वारा दाखिल हैबियस कार्पस याचिका पर सुनवाई करते हुए अपने फैसले में युवती को पलिस द्वारा हिरासत को ‘कब्ज़ा’ (Possession) में लेने क तौर पर रिकॉर्ड करने के लिए कड़ी फटकार लगाते हुए तल्ख टिप्पणी की है. हाई कोर्ट ने पुलिस की मनमानी की भी आलोचना की है. कोर्ट ने कहा की ऐसा इसलिए किया गया, ताकि हाई कोर्ट के आदेश को अनदेखा किया जा सके. कोर्ट ने इस बात पर कड़ी आपत्ति जताई कि पुलिस ने युवती से जुड़े फर्द या कब्ज़े का मेमो तैयार किया था, जिसमें पुलिस ने लिखा था कि महिला को… कब्जा पुलिस लिया जाता है यानी पुलिस ने दावा किया था कि महिला को कब्जे में लिया जा रहा है न की उसे हिरासत में लिया गया है. पीड़ित युवती और उसके कथित पति ने पुलिस द्वारा गैर कानूनी तरीके से हिरासत में लिए जाने को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट की शरण ली. सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने यूपी पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा की पुलिस को कब्जा का फर्क नहीं पता है. कोर्ट ने कहा की ‘कब्ज़ा’ एक ऐसा शब्द है जो कानूनी और आम बोलचाल दोनों में अंग्रेजी शब्द (Possession) ‘पज़ेशन’ से मिलता-जुलता है. इसका प्रयोग इंसानों के लिए नहीं, बल्कि संपत्ति के लिए किया जाता है. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा की आइडिया और एक्शन- एक्शन से ज़्यादा आइडिया, दोनों ही बुरे है.










