उत्तराखंड के धराली में बादल फटने के बाद आई तबाही को पूरे एक हफ्ते होने वाले हैं. पांच अगस्त को यहां पर बादल फटा और फिर जो विनाश हुआ, उसे बता पाना भी मुश्किल है. जो लोग बच गए हैं, वो भगवान का शुक्रिया अदा कर रहे हैं और प्रार्थना कर रहे हैं कि फिर से ऐसा न हो. वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो बचने के बाद अब उस दहशत को याद करके सिहर जाते हैं. एक हफ्ते बाद भी धराली में हर जगह तबाही के निशान मौजूद हैं और मलबे में अभी तक उसके निशान मौजूद हैं. लोगों को पिछले सात दिनों से यहां के सोमेश्वर मंदिर में पूजा के समय बजने वाली घंटी नहीं सुनाई दी है. गंगनानी से धराली तक का मुश्किल भरा सफर और कदम-कदम पर जोखिम. सोन गाड और डबरानी में बामुश्किल एक से फीट सड़क ही बची है लेकिन धराली की तबाही इससे कहीं बड़ी है. हर्षिल से धराली की ओर बढ़ते हुए भागीरथ नदी का जलप्रवाह और अजीब सी आवाज आज प्राकृतिक सौंदर्य का बोध नहीं बल्कि एक खौफ पैदा कर रही थी. धराली की डराने वाली वीडियो जिस जगह से बनाई गई थी वो मुखबा का गंगा मंदिर है. गंगोत्री के शीतकालीन प्रवास का स्थान. मंदिर के पुजारी द्वारका की बगल में करीब सौ साल से भी ज्यादा पुराना मकान बना था..द्वारका ने बताया कि ढाई सौ साल पुराना ये मकान उत्तरकाशी के भूंकप में भी नहीं हिला.