प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल, गोवा, हरियाणा, झारखंड और उत्तर प्रदेश में एक साथ छापेमारी की. ये कार्रवाई निबु विन्सेंट और दूसरे लोगों के खिलाफ दर्ज केस में की गई. ईडी की टीमों ने अलग-अलग जगहों से कई डिजिटल डिवाइस और स्टोरेज मीडिया संदिग्ध दस्तावेज और बैंक अकाउंट्स को फ्रीज किया.मामला क्या हैईडी ने जांच की शुरुआत गोवा पुलिस क्राइम ब्रांच द्वारा दर्ज उस FIR से की थी, जिसमें 4.3 किलो कोकीन की डिलीवरी का मामला सामने आया था. जांच में सामने आया कि इन खातों का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया जा रहा था. दस्तावेजों से ऐसे सबूत मिले हैं, जिनसे पता चलता है कि ड्रग्स से कमाए गए पैसों को छिपाने के लिए कई तरह की लेयरिंग के तरीके अपनाए गए. इसमें दूसरे स्तर के एजेंट और फेसीलिटेटर्स भी शामिल थे और इस नेटवर्क की अंतरराष्ट्रीय लिंक भी सामने आई है.विदेशी नेटवर्क और शेल कंपनियांजांच में पता चला कि ये नेटवर्क सिर्फ गोवा तक सीमित नहीं था, बल्कि इसके विदेशी कनेक्शन भी थे. ड्रग्स की सप्लाई और खरीद-फरोख्त के लिए बाहर की एजेंसियों से भी संपर्क किया गया. शेल कंपनियां और बेनामी अकाउंट के जरिए पैसों का हिसाब-किताब किया गया. कुछ विदेशी नागरिक भारतीयों के लिए टिकट और ट्रैवल लॉजिस्टिक्स का इंतजाम करते थे ताकि उन्हें ड्रग्स ट्रैफिकिंग के लिए विदेश भेजा जा सके.जिम्बाब्वे का कनेक्शनजांच में सामने आया कि तारिरो मंगवाना, जो कि जिम्बाब्वे का नागरिक है, उसने भारतीय ड्रग्स माफियाओं की मदद की. वो पैसों की हेराफेरी करता था और बदले में खुद को म्यूल (माल ले जाने वाला) के रूप में इस्तेमाल कराता था. ऐसे ही 8 भारतीयों में से 4 को भारत और विदेश में ड्रग्स रखने या तस्करी के आरोप में पकड़ा गया है. इसी कड़ी