पवन खेड़ा के खिलाफ यूपी-असम में दर्ज FIR लखनऊ स्थानांतरित; गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा भी बढ़ी

    कोर्ट ने कहा कि पवन खेड़ा न्यायिक अदालत के समक्ष नियमित जमानत के लिए आवेदन करने के लिए स्वतंत्र होंगे। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि वाराणसी और असम में दर्ज एफआईआर को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के हजरतगंज पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित कर दिया जाए।

    प्रधानमंत्री के खिलाफ टिप्पणी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता पवन खेड़ा के खिलाफ उत्तर प्रदेश, असम में दर्ज तीन प्राथमिकियों को लखनऊ स्थानांतरित कर दिया। कोर्ट ने सभी एफआईआर को लखनऊ के हजरतगंज पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित कर दिया। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने 10 अप्रैल तक गिरफ्तारी से उनकी अंतरिम सुरक्षा भी बढ़ा दी।

    कोर्ट ने कहा कि पवन खेड़ा न्यायिक अदालत के समक्ष नियमित जमानत के लिए आवेदन करने के लिए स्वतंत्र होंगे। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि वाराणसी और असम में दर्ज एफआईआर को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के हजरतगंज पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित कर दिया जाए।

    इससे पहले  प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने शुक्रवार को पवन खेड़ा की याचिका पर सुनवाई 20 मार्च तक स्थगित कर दी थी। उत्तर प्रदेश और असम की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से मामले पर शुक्रवार के बजाय सोमवार को सुनवाई करने का आग्रह किया था।

    असम पुलिस ने पवन खेड़ा को गिरफ्तार किया था
    इससे पहले कोर्ट ने पवन खेड़ा की अंतरिम जमानत की अवधि 17 मार्च तक बढ़ा दी थी। इस मामले में असम पुलिस ने खेड़ा को गिरफ्तार किया था। पीएम मोदी के खिलाफ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में दर्ज प्राथमिकियों को एक साथ जोड़ने का अनुरोध करने वाली पवन खेड़ा की याचिका का असम और उत्तर प्रदेश सरकार ने विरोध किया था।

    यूपी और असम सरकार ने किया विरोध
    यूपी और असम की सरकारों ने खेड़ा की याचिका का विरोध करते हुए दावा किया था कि विपक्षी पार्टी अब भी अपने सोशल मीडिया खातों पर इसी निचले स्तर को कायम रख रही है। इससे पहले 27 फरवरी को कोर्ट ने पवन खेड़ा को गिरफ्तारी से दिए गए संरक्षण की अवधि बढ़ा दी थी।

    क्या है मामला?
    मुंबई में 17 फरवरी को संवाददाता सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ खेड़ा की कथित टिप्पणी को लेकर उन्हें दिल्ली हवाई अड्डे से उस समय गिरफ्तार कर लिया गया था, जब वह रायपुर जाने वाली उड़ान में सवार हुए थे। प्रधान न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ के कांग्रेस नेता को अंतरिम जमानत प्रदान करने के बाद 23 फरवरी को यहां की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने उन्हें जमानत दे दी थी।

    मनोरोगियों की देखभाल वाली दोनों पहल का किया जाए एकीकरण: कोर्ट
    सुप्रीम कोर्ट ने लोगों को मानसिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं प्रदान करने और उनके पुनर्वास के लिए केंद्र की दो पहलों ‘टेली मानस’ और ‘मनो आश्रय’ के एकीकरण की आवश्यकता पर जोर दिया। ‘टेली-मानस’ स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की एक पहल है, जिसे 10 अक्तूबर 2022 को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर लॉन्च किया गया था। इसके तहत कोई भी टोल फ्री नंबर डायल कर सलाहकार से संपर्क कर सकता है।वहीं, ‘मनो आश्रय’ सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय का एक डैशबोर्ड है, जिसमें मानसिक स्वास्थ्य विकार वाले रोगियों के लिए पुनर्वास घरों /हाफ-वे होम्स का विवरण, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में भौगोलिक स्थानों के साथ उनके रहने और मिलने वाली सुविधाओं का विवरण होता है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष मनो आश्रय पहल की एक प्रस्तुति दिखाई गई। जिसके बाद पीठ ने कहा, मनोरोगियों को प्रभावी सहायता प्रदान करने के लिए दोनों पहलों का उचित एकीकरण करने की जरूरत है।

    पीठ ने दोनों मंत्रालयों से इन्हें साथ करने और आगे बढ़ाने पर प्रस्तुति देने के लिए कहा गया। पीठ ने कहा, चूंकि आगे बढ़ने के लिए दोनों मंत्रालयों के साथ उचित सहयोग की जरूरत होगी, हम एडिशनल सॉलिसिटर जनरल माधवी दीवान से दोनों मंत्रालयों के साथ सचिव स्तर पर मामले को उठाने का अनुरोध करते हैं। पीठ ने दोनों मंत्रालयों से अगली सुनवाई पर एक प्रस्तुति देने को कहा। पीठ इस मामले में चार हफ्ते बाद सुनवाई करेगी।

    रैन बसेरे मामले में केंद्र, दिल्ली को नोटिस
    सुप्रीम कोर्ट ने बेघरों के लिए किसी भी आश्रय को हटाने या स्थानांतरित करने से पहले अधिकारियों के लिए दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने की मांग वाली याचिका पर केंद्र, दिल्ली सरकार व अन्य से जवाब मांगा है। शीर्ष अदालत उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें दावा किया गया था कि सरकार की एक एजेंसी के बनाए आश्रयों को उसकी दूसरी शाखा हटाने की मांग कर रही है। जस्टिस एसके कौल, जस्टिस ए अमानुल्लाह और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) और दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इस मामले में अब 5 अप्रैल को सुनवाई होगी। दिल्ली निवासी सुनील कुमार अलेदिया ने याचिका में कहा कि डीडीए ने यमुना बाढ़ के मैदानों की बहाली और कायाकल्प शुरू कर दिया है और क्षेत्र में स्थित 14 रैन बसेरे ध्वस्त होने के कगार पर हैं। 15 फरवरी को सराय काले खां बस टर्मिनल के पास स्थित रैन बसेरों में से एक को अधिकारियों ने ध्वस्त कर दिया था।

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