इंदिरानगर के सुबोध शर्मा को नागपुर जाना था। उन्होंने गोरखपुर-एर्नाकुलम का तत्काल कोटे का रिजर्वेशन इसलिए कराया कि इसमें प्रीमियम तत्काल का किराया विमान की तरह डायनामिक फेयर वाली पद्वति से बढ़ता है। ऐशबाग से नागपुर का जो एसी सेकेंड का टिकट उनको 2425 रुपये का पड़ा। वहीं आरक्षण चार्ट बनने तक प्रीमियम तत्काल का किराया मात्र 1900 रुपये ही रह गया। ऐसे में सुबोध शर्मा अपने को ठगा महसूस करने लगे।

दरअसल रेलवे ने अपनी आय बढ़ाने के लिए तत्काल कोटे से ही एक और नई श्रेणी प्रीमियम तत्काल बनाकर उसका आरक्षण शुरू किया गया। तत्काल कोटे में तो किराया तय है। उसका किराया न अधिक होगा न कम। जबकि तत्काल प्रीमियम का किराया मांग के हिसाब से बढ़ता है। न्यूनतम किराया ट्रेन के सामान्य किराए के बराबर ही होता है। लेकिन अधिकतम किराया तीन गुना तक पहुंच जाता है। मसलन, लखनऊ से मुंबई का एसी थर्ड का 1665 रुपये है। जबकि प्रीमियम तत्काल का किराया मांग बढ़ने पर 4200 रुपये तक पहुंच जाता है।

स्लीपर का 635 रुपये का किराया 1950 रुपये तक हो जाता है। दक्षिण भारत जाने वाली गोरखपुर-एर्नाकुलम स्पेशल का प्रीमियम तत्काल का नागपुर का ही किराया 1340 रुपये है। जो कि सामान्य किराए के बराबर है। वहीं तत्काल काेटे का किराया 1715 रुपये तक है। इसी तरह स्लीपर क्लास का प्रीमियम तत्काल का किराया भी 510 रुपये है। वहीं तत्काल कोटे का किराया 650 रुपये यात्री दे रहे हैं। तत्काल प्रीमियम के गणित में जेब आम यात्रियों की ही ढीली हो रही है।

इसका रखें ध्यानः जिन रूट पर ट्रेनों में डिमांड कम रहती है। वहां की ट्रेनों में प्रीमियम तत्काल की जगह तत्काल कोटे की सीटें बुक करने पर आपको टिकट महंगा पड़ सकता है। हालांकि, प्रीमियम तत्काल में मॉनीटर या मोबाइल फोन की स्क्रीन पर दिखाए गए किराए और टिकट बनने के बाद उसके किराए में अंतर भी आ सकता है।

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