धानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित जी -20 नेताओं ने वित्तीय कार्रवाई कार्य बल के लिए अपने पूर्ण समर्थन की पुष्टि की है। उन्होंने माना कि मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवादी फंडिंग और प्रसार से निपटने के लिए किए गए उपायों का प्रभावी कार्यान्वयन वित्तीय बाजारों में विश्वास पैदा करने, एक स्थायी रिकवरी सुनिश्चित करने और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की अखंडता की रक्षा करने के लिए आवश्यक है।

आपको बता दें कि पाकिस्तान की तमाम कोशिशों के बावजूद वह एफएटीएफ की ग्रे सूची से बाहर नहीं निकल पा रहा है। इस मामले में एक बार फिर उसे वैश्विक संस्था से झटका लगा है। एफएटीएफ (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) ने पाकिस्तान को अपनी ग्रे सूची में बरकरार रखा है। इतना ही नहीं, इस बार उसके दोस्त तुर्की को भी झटका लगा है।

एफएटीएफ ने तुर्की को मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने में कमियों के लिए ‘ग्रे लस्टि’ में शामिल किया। तुर्की के अलावा, जॉर्डन और माली को भी ग्रे सूची में जोड़ा गया है, जबकि बोत्सवाना और मॉरीशस को सूची से हटा दिया गया है।

एफएटीएफ का फैसला तब आया है, जब पाकिस्तान और तुर्की पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। तुर्की की मुद्रा में गिरावट दर्ज की गई है और मुद्रास्फीति लगभग 20 प्रतिशत तक पहुंच गई है। वहीं पाकिस्तान की कंगाली के मुहाने पर खड़ा है। वह इतना लाचार हो चुका है कि अब उसे कोई जल्दी कर्ज देने को भी तैयार नहीं हो रहा है। बता दें कि तुर्की ने अतीत में एफएटीएफ की बैठकों में पाकस्तिान का जोरदार समर्थन किया है ताकि यह सुनश्चिति किया जा सके कि वैश्विक निगरानीकर्ता उसे काली सूची में नहीं डाले।

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