मायावती बोलीं- नहीं हो रहा संविधान का पालन, निजी क्षेत्रों में भी लागू हो आरक्षण

    संविधान दिवस के मौके पर आज सभी राजनीतिक दल की ओर से कोई ना कोई प्रतिक्रिया सामने आ रही है. इस बीच बसपा सुप्रीमो मायावती ने राज्य और केंद्र सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि इन सरकारों को संविधान दिवस मनाने का अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा है कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी वर्गों का ज्यादातर विभागों में आरक्षण का कोटा अधूरा पड़ा है. उन्होंने कहा कि इन वर्गों के लिए निजी क्षेत्र में आरक्षण की व्यवस्था भी नहीं की गई है. केंद्र और राज्य सरकारें इस मामले में कानून बनाने के लिए भी तैयार नहीं है. मायावती ने आगे दो टूक कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को संविधान दिवस मनाने का अधिकार नहीं हैं.

    मीडिया से मुखातिब होते हुए मायावती ने कहा कि, ” केंद्र और राज्य सरकारें इस बात की गहन समीक्षा करें कि क्या ये पार्टियां संविधान का सही से पालन कर रही हैं? अर्थात नहीं कर रही हैं इसलिए हमारी पार्टी ने केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा संविधान दिवस मनाने के कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेने का फ़ैसला किया है.”

    मायावती ने बसपा विधानमंडल का नेता उमाशंकर सिंह को बनाया

    वहीं संविधान दिवस के मौके पर बसपा विधायक दल के उपनेता उमाशंकर सिंह को मायावती ने विधानमंडल का नेता बनाया है. शाह आलम गुड्डू जमाली की स्थिति के बाद यह पद रिक्त हुआ था. बसपा के नेता सदन और आजमगढ़ के मुबारकपुर से विधायक शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने गुरुवार को मयावाती को अपना इस्तीफा सौंपा था. बसपा को अलविदा कहते हुए शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने अपने इस्तीफे में लिखा कि,” 21 नवंबर को आपके साथ बैठक में, मुझे लगा कि आप (मायावती) पार्टी के प्रति मेरी भक्ति और ईमानदारी के बावजूद संतुष्ट नहीं हैं. मैं पार्टी पर बोझ नहीं बनना चाहता अगर मेरा नेता मुझसे या मेरे काम से संतुष्ट नहीं है.”

    शाह आलम गुड्डू जमाली ने मायावती को लिखा था लेटर

    शाह आलम ने अपने लेटर में आगे लिखा कि, ” 2012 से पार्टी के प्रति निष्ठावान रहा और पार्टी की तरफ से मिली हर जिम्मेदारी को बखूबी निभाया भी. अब मुझे लगता है मेरी उपेक्षा की जा रही है कि ऐसे में अब आगे साथ रहने की कोई वजह नहीं है. उन्होंने लिखा कि यहां यह कहना भी जरूरी है कि पार्टी में मेरे इस कार्यकाल के दौरान बसपा के सभी स्तर कार्यकर्ताओं एवं मतदाताओं से मुझे बहुत ही आदर सम्मान एवं प्यार मिला है. जिससे मैं सदैव एहसानमंद रहुंगा.” बता दें कि बसपा सुप्रीमो मयावती ने इस साल जून में ही शाह आलम को विधानमंडल दल का नेता बनाया था.

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