चंडीगढ़ निगम चुनाव में आप का डंका, भाजपा के मेयर खुद हारे; कांग्रेस-अकाली भी पिछड़े

    चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव के परिणाम काफी चौंकाने वाले हैं। 35 में से 29 वार्डों पर परिणाम घोषित हो चुके हैं। अरविंद केजरीवाल की पार्टी आम आदमी पार्टी ने भाजपा और कांग्रेस के किलों को भेदकर 13 वार्डों में जीत हासिल कर ली है। जबकि भाजपा और कांग्रेस ने अभी क्रमश: 10 और 5 वार्ड जीते हैं। सबसे ज्यादा चौंकाने वाला परिणाम मेयर चुनाव का है। भाजपा प्रत्याशी और सिटिंग मेयर रविकांत शर्मा को आप प्रत्याशी ने हरा दिया है। मनीष सिसोदिया ने चुनाव परिणामों पर खुशी जताई है।

    चंडीगढ़ नगर निगम के 35 वार्डों पर सुबह नौ बजे से काउंटिंग चल रही है। राज्य चुनाव आयोग के मुताबिक, अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने 13 वार्डों में जीत हासिल की है। वहीं, भाजपा ने अभी तक 10 वार्ड जीते हैं, जबकि कांग्रेस ने 5 वार्ड जीते और एक वार्ड अकाली दल के खाते में गया है। सबसे ज्यादा चौंकाने वाला परिणाम मेयर चुनाव को लेकर है। भाजपा प्रत्याशी और निवर्तमान मेयर रविकांत शर्मा चुनाव हार गए हैं। उन्हें आप प्रत्याशी ने हराया।

    चुनाव परिणामों पर आप गदगद

    चुनाव परिणामों पर आम आदमी पार्टी ने खुशी जताई है। दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा, ” आम आदमी पार्टी वहां पहली बार चुनाव लड़ रही है और मौजूदा रूझानों के मुताबिक चंडीगढ़ की जनता ने हमारा भव्य स्वागत किया है। मैं इसके लिए हर मतदाता और पार्टी कार्यकर्ता को धन्यवाद देना चाहता हूं।”

    मतदाता नहीं बदलता वफादारीः भाजपा

    चंडीगढ़ में भाजपा प्रवक्ता नरेश अरोड़ा ने कहा, “केवल अंतिम परिणाम ही हमें बता पाएंगे कि किस पार्टी का मतदाता आधार आप में स्थानांतरित हो गया है क्योंकि भाजपा का मतदाता कभी भी अपनी वफादारी नहीं बदलता है।”

    गौरतलब है कि शुक्रवार को हुए चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में 60 फीसदी से ज्यादा मतदान दर्ज किया गया। वार्डों की संख्या 2016 में 26 से बढ़कर अब 35 हो गई है। परंपरागत रूप से हर पांच साल में होने वाले नगर निगम के चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिलती है, लेकिन आम आदमी पार्टी ने एंट्री लेकर इस चुनाव को और रोचक बना दिया है। वर्तमान नगर निकाय में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का बहुमत है। पिछले एमसी चुनावों में भाजपा ने 20 और उसके पूर्व सहयोगी शिरोमणि अकाली दल को एक सीट जीती थी। कांग्रेस केवल चार सीटें जीतने में सफल रही थी।

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