गोवा के पहले ही चुनावी ब्रेकर में फंसी ममता बनर्जी की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा

    राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी राजनीति की अगुवाई करने की ममता बनर्जी की सियासी महत्वाकांक्षा बंगाल से बाहर गोवा की अपनी पहली ही चुनावी परीक्षा में डांवाडोल होती दिख रही है। पूर्व मुख्यमंत्री लुइजिनो फेलेरियो सरीखे कांग्रेस के कुछ बड़े नेताओं को तोड़ धूम-धड़ाके के साथ गोवा में तृणमूल कांग्रेस को लांच करने के चार महीने के भीतर ही दीदी को अपनी सियासी प्रतिष्ठा के लिए कांग्रेस से ही गठबंधन की शिद्दत से जरूरत महसूस हो रही है।

    दिलचस्प यह है कि तृणमूल कांग्रेस की ओर से गठबंधन के लिए बनाए जा रहे सार्वजनिक दबावों के बावजूद कांग्रेस नेतृत्व ने दीदी को पेशकश का दो हफ्ते बाद भी जवाब देना मुनासिब नहीं समझा है। कांग्रेस गोवा के चुनाव में टीएमसी और उसके सहयोगी साथी एमजीपी के साथ गठबंधन की गुंजाइश से लगातार इन्कार करती आ रही है। गोवा चुनाव के लिए कांग्रेस के प्रभारी वरिष्ठ नेता पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम पिछले दो हफ्ते से टीएमसी और आप को सूबे में वोट कटवा पार्टी बताते हुए गठबंधन को खारिज करते आ रहे हैं और उनका साफ कहना है कि ये दोनों दल भाजपा विरोधी मतों में सेंध लगाकर कांग्रेस का नुकसान कर रहे हैं। गोवा की टीएमसी की चुनाव प्रभारी महुआ मोइत्रा की चिदंबरम के साथ इस रुख को लेकर टविटर पर कई बार सियासी जंग भी हुई, मगर कांग्रेस नेता सूबे में टीएमसी को वोट कटवा से ज्यादा आंकने को तैयार नहीं दिखे।

    बताया जाता है कि दीदी ने गठबंधन की जो पेशकश की थी, उसमें तर्क दिया गया कि चूंकि मौजूदा वक्त में कांग्रेस और टीएमसी के दो-दो विधायक हैं और इस लिहाज से 17 सीटें कांग्रेस लड़े, 15 टीएमसी तथा आठ सीटें एमजीपी को दिया जाए। कांग्रेस नेताओं को तोड़कर पार्टी खड़ा करने के बाद टीएमसी का यह प्रस्ताव कांग्रेस को पचेगा, इसकी गुंजाइश नहीं है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक ममता के गठबंधन के प्रस्ताव को कांग्रेस अध्यक्ष ने राहुल गांधी के पास भेज दिया। राहुल ने चिदंबरम के अलावा गोवा के कांग्रेस प्रभारी दिनेश गुंडू राव और संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल से इस पर चर्चा की और टीएमसी के इस प्रस्ताव को विचार लायक भी नहीं मानने का इरादा तय कर लिया।

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