भारत दौरे पर आए हुए जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। मुलाकात के बाद भारतीय विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा कि चांसलर स्कोल्ज ने आखिरी बार साल 2012 में बतौर हैमबर्ग मेयर भारत का दौरा किया था। बीते 10 सालों में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत के आर्थिक विकास की ओलाफ स्कोल्ज ने तारीफ की। विदेश सचिव ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने बयान में जलवायु परिवर्तन के खिलाफ भारत के समर्पण को दोहराया। साथ ही उन्होंने कहा कि साल 2070 तक भारत नेट जीरो के लक्ष्य को पाने की तरफ देख रहा है। रेलवे में भारत 2030 तक ही नेट जीरो होने के लक्ष्य से काम कर रहा है।
विदेश सचिव ने कहा कि चांसलर स्कोल्ज ने जर्मन उद्योगों के लिए एशिया प्रशांत कॉन्फ्रेंस की अहमियत बताई। साल 2024 में भारत एशिया प्रशांत कॉन्फ्रेंस की मेजबानी कर सकता है। भारत और जर्मनी के बीच रक्षा सहयोग बढ़ाने पर भी चर्चा हुई। दोनों देश मानते हैं कि रक्षा सहयोग दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी का अहम स्तंभ है। विदेश सचिव ने कहा कि प्रधानमंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान साफ कहा है कि आतंकी और अलगाववादी ताकतें भारत और जर्मनी के समाज को कमजोर करने की कोशिश कर रही हैं। ऐसे में दोनों देशों में सहयोग जरूरी है।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के हैदराबाद हाउस में जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज के साथ बैठक की। करीब एक घंटे तक चले इस बैठक के बाद प्रधानमंत्री मोदी और ओलाफ स्कोल्ज ने संयुक्त रूप से प्रेस को संबोधित किया। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा से इस विवाद को बातचीत और कूटनीति के माध्यम से हल करने पर जोर दिया है। भारत किसी भी शांति प्रक्रिया में योगदान के लिए पूरी तरह से तैयार है। सुरक्षा और रक्षा सहयोग हमारी रणनीतिक साझेदारी का अहम स्तंभ बन सकता है। पीएम ने कहा कि बातचीत के जरिए ये युद्ध जल्द से जल्द समाप्त होना चाहिए।