Varanasi: ज्ञानवापी के सभी मामलों की सुनवाई एक साथ करने पर अब 20 को आएगा आदेश, आज टली सुनवाई

    ज्ञानवापी परिसर से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई एक साथ किए जाने की मांग वाली याचिकाओं पर आदेश टल गया। अब इस पर आदेश 20 मार्च को आएगा। सोमवार को जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट से आदेश की तारीख बढ़ा दी गई।

    वाराणसी के बहुचर्चित ज्ञानवापी परिसर से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई एक साथ किए जाने की मांग वाली याचिकाओं पर अब 20 मार्च को आदेश आ सकता है। इस मामले में सोमवार को जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में सुनवाई टल गई। कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पत्रावली सुरक्षित कर ली थी और फैसला सुनाने की पहले एक मार्च, फिर 13 मार्च की तिथि नियत की थी। हालांकि सोमवार को भी आदेश नहीं आ सका। अब इस पर आदेश 20 मार्च को आ सकता है।

    श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन और अन्य विग्रहों के संरक्षण की मांग को लेकर चार महिलाओं ने याचिका दाखिल की है। महिलाओं की मांग है कि ज्ञानवापी के सभी मामलों की सुनवाई एक साथ की जानी चाहिए। लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक के अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी, सुधीर त्रिपाठी ने मामलों की सुनवाई एक साथ किए जाने के पक्ष में अपनी बात रखी। अधिवक्ताओं ने कहा कि ज्ञानवापी के सभी मामले एक जैसे हैं। इनकी अलग-अलग सुनवाई नहीं हो चाहिए।

    राखी सिंह ने किया विरोध

    हालांकि, श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन व अन्य विग्रहों के संरक्षण से संबंधित याचिका से जुड़ी एक अन्य महिला राखी सिंह ने इसका विरोध किया। उनके अधिवक्ता ने कहा कि वह सभी मामलों की सुनवाई एक साथ नहीं चाहती हैं।

    इसी तरह ज्ञानवापी परिसर मेें दूसरे समुदाय के लोगों का प्रवेश रोकने की मांग से संबंधित याचिका दाखिल करने वाली किरण सिंह, विश्व हिंदू सनातन संघ के संस्थापक जितेंद्र सिंह बिसेन की ओर से अधिवक्ता शिवम गौड़ ने सभी मामलों की सुनवाई अलग-अलग किए जाने के पक्ष में दलील दी।

    स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की तरफ से अधिवक्ता रमेश उपाध्याय व जन उद्घोष समिति के वादी कुलदीप तिवारी की तरफ से भी मामले की सुनवाई अलग-अलग किए जाने की मांग की गई। ज्ञानवापी के ज्यादातर मामलों में प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से अधिवक्ता रईस अहमद ने भी आपत्ति जताई। इसी तरह से शासन की तरफ से विशेष अधिवक्ता राजेश मिश्र ने न्यायोचित आदेश पारित करने का अनुरोध किया। अदालत ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद आदेश के लिए पत्रावली सुरक्षित रख ली है।

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