लखीमपुर खीरी के तिकुनिया हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई करते हुए कहा है कि मामले में सुनवाई धीमी नहीं है। साथ ही अदालत ने मामले में आरोपी आशीष मिश्रा की अंतरिम जमानत को अगले आदेश तक बरकरार रखा है। गौरतलब है कि इस मामले में 25 जनवरी को सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने आशीष मिश्रा को सशर्त जमानत दी थी।
मंगलवार को सुनवाई के दौरान पीड़ित परिवारों का पक्ष रख रहे अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने पीठ को बताया कि अभियोजन पक्ष के लगभग 200 गवाहों से पूछताछ की जानी बाकी है। इस दौरान उन्होंने मुकदमे में सुनवाई की धीमी गति को लेकर चिंता जाहिर की।
वहीं, आशीष मिश्रा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पीठ को बताया कि 25 जनवरी के आदेश के बाद उनके मुवक्किल को जेल से रिहा कर दिया गया था। रिहा होने के बाद वह सुनवाई की हर तारीख पर निचली अदालत के समक्ष उपस्थित हुए। साथ ही अदालत ने जिन शर्तों का पालन करने के लिए कहा था उनका भी पालन किया गया है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी की पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि मुकदमे की गति धीमी नहीं है। हमें निचली अदालत के न्यायाधीश से इस संबंध में तीन पत्र मिले हैं। पत्रों के अनुसार, मामले में तीन गवाहों की जिरह पूरी हो चुकी है जबकि उनमें से एक से जिरह चल रही है। अदालत ने यह भी कहा कि वह ट्रॉयल से संतुष्ट है। ऐसे में आशीष मिश्रा की अंतरिम जमानत को उसी स्थिति में आगे भी जारी रखेंगे। पीछ ने यह भी कहा कि ट्रायल कोर्ट इस कोर्ट को ट्रायल के भविष्य के घटनाक्रम से अवगत कराती रहेगी। फिलहाल शीर्ष अदालतक ने इस मामले को मई में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने 25 जनवरी को आशीष मिश्रा को शर्तों के साथ आठ सप्ताह की अंतरिम जमानत दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने मिश्रा को सशर्त 8 हफ्तों के लिए जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने आशीष मिश्रा को निर्देश दिया था कि वह अपनी लोकेशन के बारे में संबंधित न्यायालय को जानकारी दे। साथ ही सर्वोच्च अदालत ने कहा कि आशीष मिश्रा या उसके परिवार ने अगर मामले से जुड़े गवाहों को प्रभावित करने या फिर ट्रायल में देरी करने की कोशिश की तो आशीष मिश्रा की जमानत रद्द कर दी जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा को जमानत देते हुए यह शर्त भी लगाई थी कि वह दिल्ली एनसीआर और उत्तर प्रदेश में नहीं रहेगा। जमानत मिलने के बाद एक हफ्ते बाद आशीष मिश्रा को उत्तर प्रदेश छोड़ना होगा।
बता दें कि तीन अक्टूबर 2021 में उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के तिकोनिया में किसान डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के दौरे का विरोध करते हुए प्रदर्शन कर रहे थे। आरोप है कि आशीष मिश्रा की कार ने विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को रौंद दिया, जिसमें चार किसानों की मौत हो गई थी। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने एसयूवी सवार लोगों पर हमला कर दिया था, जिसमें कार के ड्राइवर और दो भाजपा कार्यकर्ताओं की मौत हो गई थी। हिंसा के दौरान एक पत्रकार की मौत समेत इस मामले में कुल आठ लोगों की जान गई थी। आशीष मिश्रा इस मामले में मुख्य आरोपी है। आशीष मिश्रा ने जमानत के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसे हाईकोर्ट ने मंजूर कर लिया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को निर्देश दिया कि पीड़ित पक्ष को पर्याप्त मौका देकर ही हाईकोर्ट जमानत याचिका पर फैसला सुनाए। इसके बाद हाईकोर्ट ने फिर से मामले पर सुनवाई की और आशीष मिश्रा की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इस पर आशीष मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।