भारत में 33 प्रतिशत महिलाएं ही कर रहीं इंटरनेट का इस्तेमाल, डिजिटल लैंगिक भेदभाव पर यूएन की रिपोर्ट

    संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने लैंगिक डिजिटल भेदभाव को असमानता का नया चेहरा बताते हुए कहा, महिलाएं भेदभाव के नए तरीके का सामना कर रही हैं। डिजिटल दुनिया पर पुरुषों का वर्चस्व आने वाले समय में मुश्किलें पैदा कर सकता है।

    संयुक्त राष्ट्र महिला संगठन के महिला स्थिति आयोग (यूएन-सीएसडब्ल्यू) ने रविवार को महिलाओं के खिलाफ डिजिटल दुनिया से भेदभाव खत्म करने को सर्वसम्मति से घोषणापत्र जारी किया। इससे पहले इस संबंध में एक रिपोर्ट में बताया कि भारत में 33 फीसदी महिलाएं ही इंटरनेट का इस्तेमाल कर रही हैं।

    संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने लैंगिक डिजिटल भेदभाव को असमानता का नया चेहरा बताते हुए कहा, महिलाएं भेदभाव के नए तरीके का सामना कर रही हैं। डिजिटल दुनिया पर पुरुषों का वर्चस्व आने वाले समय में मुश्किलें पैदा कर सकता है। लिहाजा, समय रहते डिजिटल दुनिया से लैंगिक भेदभाव खत्म करने की जरूरत है। गुटेरेस ने कहा कि इस पुरुष वर्चस्व वाले डाटा से एआई भी सहज रूप से लैंगिक भेदभाव सीखेगी।

    उत्पीड़न के प्रयासों से समान रूप से निपटने की जरूरत
    यूएन-सीएसडब्ल्यू ने डिजिटल दुनिया में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने के लिए ऑनलाइन उत्पीड़न के खिलाफ सख्त वातावरण की मांग करते हुए कहा, महिलाओं के खिलाफ किसी भी तरह की हिंसा और उत्पीड़न के प्रयासों से समान रूप से निपटने की जरूरत है, क्योंकि डिजिटल हो या फिजिकल, दोनों ही रूपों मे महिलाओं को उत्पीड़न की समान भावना से जूझना पड़ता है। संयुक्त राष्ट्र महिला संगठन की कार्यकारी निदेशक सीमा बाहॉस कहती हैं, 45 सदस्यों वाले आयोग का यह दस्तावेज विश्व की महिलाओं के लिए डिजिटल दुनिया में समानता के अवसर लाएगा।

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