…तो राहुल गांधी की संसद सदस्यता चली जाएगी? हाई कोर्ट के सीनियर वकील से जानिए उनके पास क्या-क्या विकल्प हैं?

    कोर्ट ने राहुल गांधी के 2019 में दिए बयान ‘सारे चोर मोदी सरनेम वाले ही क्यों होते हैं?’ के लिए आपराधिक मानहानि का दोषी पाया है। 2 साल की सजा के बाद राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द होने का खतरा मंडरा रहा है। नियमों के मुताबिक किसी केस में 2 साल या उससे अधिक की सजा होने पर किसी सांसद को अयोग्य ठहराया जा सकता है।

    मोदी सरनेम मानहानि केस में सूरत की सेशंस कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने सजा सुनाने के साथ राहुल को अपील करने के लिए 30 दिन का समय भी दिया है। 2 साल की सजा की वजह से राहुल की सदस्यता पर भी खतरा हो सकता है लेकिन 30 दिन तक सजा सस्पेंड होने की वजह से सदस्यता बची रहेगी। कोर्ट ने राहुल गांधी के 2019 में दिए बयान ‘सारे चोर मोदी सरनेम वाले ही क्यों होते हैं?’ के लिए आपराधिक मानहानि का दोषी पाया है।

    क्या है 2 साल से ज्यादा की सजा का नियम?

    2 साल की सजा के बाद राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द होने का खतरा मंडरा रहा है। नियमों के मुताबिक किसी केस में 2 साल या उससे अधिक की सजा होने पर किसी सांसद/विधायक को अयोग्य ठहराया जा सकता है। नियमों के मुताबिक वह सजा की अवधि पूरी करने के बाद अगले 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ सकता। ये सजा जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 8 के तहत सुनाई जाती है और जिस दिन कोर्ट का फैसला आता है उसी दिन से इसे  लागू माना जाता है लेकिन राहुल की अयोग्यता का फैसला इसपर निर्भर करता है तो उनकी अपील पर ऊपर अदालत क्या फैसला सुनाती है। आज IPC की धारा 499 और 500 के तहत राहुल को 2 साल की सजा सुनाई गई है।

    राहुल के पास क्या-क्या विकल्प हैं?

    1. दिल्ली हाई कोर्ट के एडवोकेट तेजवीर सिंह भाटिया ने कहा, दो चीजें तो साफ हो गई कि पहला तो ये कि वो मान रहे हैं कि उन्होंने वो बयान दिया है और दूसरा उन्होंने आज कोर्ट आकर बोला है कि उन्हें दया नहीं चाहिए।
    2. राहुल गांधी को 30 दिन के अंदर या अगला चुनाव लड़ने के लिए ऊपरी अदालत से एक जजमेंट लेना पड़ेगा जिसमें ये लिखना होगा कि लोअर कोर्ट के जजमेंट को खारिज कर दिया जाए या खत्म कर दिया जाए।
    3. राहुल गांधी को अपनी सदस्यता को बचाए रखने के सारे रास्ते बंद नहीं हुए हैं। वो अपनी राहत के लिए हाईकोर्ट में चुनौती दे सकते हैं।
    4. अगर सूरत सेशन कोर्ट के फैसले पर स्टे लग जाता है तो सदस्यता बच सकती है।
    5. हाईकोर्ट अगर स्टे नहीं देता है तो फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना होगा। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट से अगर स्टे मिल जाता है तो भी उनकी सदस्यता बच सकती है।

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