नवरात्रि के तीसरे दिन होती है मां चंद्रघंटा की पूजा, इस विधि विधान से करेंगे पूजा तो हो जाएंगे मालामाल

    24 मार्च 2023 को नवरात्रि का तीसरा दिन है और इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाएगी।

    हर साल 6 महीने के अंतराल पर नवरात्रि आती है। नवरात्रि के 9 दिन देवी शक्ति के 9 अलग-अलग रूप की पूजा होती है। पहेल दिन मां शैलपुत्री, दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन मां चंद्रघंटा चौथे दिन मां कुष्मांडा, पाचंवे दिन स्कंद माता, छठे दिन मां कात्यायनी, सातवें दिन मां कालरात्रि, आठवें दिन मां महागौरी और नवें दिन मां सिद्धिदात्री के रूप की पूजा की जाती है।

    मां के हर रूप का महत्व है और हर रूप की अलग खासियत है। 24 मार्च 2023 को नवरात्रि का तीसरा दिन है और इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाएगी। ऐसे में आचार्य इंदु प्रकाश से जानिए कलश स्थापना का सही समय क्या होगा, उसकी सही विधि क्या होगी? साथ ही जानिए शुभ मुहूर्त, भोग, विधि।

    चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन

    मां चंद्रघंटा की पूजा – 24 मार्च 2023, बुधवार

    मां चंद्रघंटा का भोग

    कन्याओं को खीर, हलवा या स्वादिष्ट मिठाई भेट करने से माता प्रसन्न होती है। माता चंद्रघंटा को प्रसाद के रूप में गाय के दूध से बनी खीर का भोग लगाने से जातक को सभी बिघ्न बाधाओं से मुक्ति मिलाती है|

    शुभ मुहूर्त

    • ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04 बजकर 36 मिनट से लेकर प्रातः 05 बजकर 24 मिनट तक
    • विजय मुहूर्त- दोपहर 02 बजकर 11 मिनट से लेकर दोपहर 02 बजकर 59 मिनट तक.
    • गोधूलि मुहूर्त- शाम 05 बजकर 59 मिनट से लेकर 06 बजकर 23 मिनट तक.
    • अमृत काल- रात 09 बजकर 12 मिनट से लेकर रात 10 बजकर 47 मिनट तक.
    • रवि योग- प्रातः 05बजकर 52 मिनट से लेकर 29 सितंबर प्रातः 06 बजकर 13 मिनट तक

    तीसरे दिन होती है मां चंद्रघंटा की पूजा

    24 मार्च को चैत्र नवरात्र के तीसरा दिन मां दुर्गा की तीसरी शक्ति की उपासना का दिन है। यानि इस दिन देवी दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की उपासना की जाएगी। देवी मां के माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित होने के कारण ही इन्हें चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है। मां चंद्रघंटा, जिनका वाहन सिंह है और जिनके दस हाथों में से चार दाहिनी हाथों में कमल का फूल, धनुष, जप माला और तीर है और पांचवा हाथ अभय मुद्रा में रहता है, जबकि चार बाएं हाथों में त्रिशूल, गदा, कमंडल और तलवार है और पांचवा हाथ वरद मुद्रा में रहता है, उनका स्वरूप भक्तों के लिए बड़ा ही कल्याणकारी है। ये सदैव अपने भक्तों की रक्षा के लिए तैयार रहती हैं। इनके घंटे की ध्वनि के आगे बड़े से बड़ा शत्रु भी नहीं टिक पाता है।  देवी चंद्रघंटा हर परिस्थिति में सभी तरह के कष्टों से छुटकारा दिलाने में सहायक है।

    मां चंद्रघंटा की पूजा विधि

    माता की चौकी पर माता चंद्रघंटा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद गंगा जल या गौमूत्र से शुद्धिकरण करें। चौकी पर चांदी,  तांबे या मिट्टीके घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें। इसके बाद पूजन का संकल्प लें और वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारामां चंद्रघंटा सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें। इसमें आवाहन, आसन, पाद्य, अध्र्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधितद्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्रपुष्पांजलि आदि करें। तत्पश्चात प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें।

    LEAVE A REPLY

    Please enter your comment!
    Please enter your name here