गोशालाओं में क्षमता से ज्यादा मवेशी, बाहर भी भरमार

    अफसर बोले, जिले में 101 गोशालाओं की क्षमता 20 हजार, भरे हैं 22500 पशु

    – प्रशासन का दावा, सभी निराश्रित गोवंशी पशुओं को पहुंचाया गया गोशाला
    संवाद न्यूज एजेंसी
    लखीमपुर खीरी। खेतों और सड़कों पर छुट्टा घूम रहे जानवरों को शत प्रतिशत गोशालाओं में संरक्षित किए जाने के आदेश से जिले में अफरातफरी मची हुई है। मंगलवार देर रात तक शहर के विभिन्न स्थलों से छुट्टा जानवरों को पकड़कर गोशालाओं में पहुंचाने का सिलसिला जारी रहा। जिले की 101 गोशालाओं में क्षमता से ज्यादा निराश्रित पशुओं को संरक्षित किया गया है, जबकि अब भी बड़ी संख्या में जानवर छुट्टा घूम रहे हैं।
    सीएम योगी के पांच अप्रैल तक हर हालत में छुट्टा मवेशियों को गोशालाओं में पहुंचाने के फरमान से अधिकारियों की सांस फूल रही है। अफसरों का दावा है कि जिले में 101 गोशालाएं हैं, जिनकी क्षमता 20000 पशु रखने की है। बावजूद इसके चार अप्रैल तक इनमें 22500 पशुओं को संरक्षण दिया जा चुका है। प्रशासन का कहना है कि जिले की कई गोशालाएं इतनी बड़ी हैं कि उनमें तीन-चार सौ तक पशु आसानी से रखे जा सकते हैं। इस लिहाज से इतनी ही गोशालाओं में करीब 500-600 पशु और समाहित किए जा सकते हैं। उधर, किसानों का कहना है कि गोआश्रय स्थलों में इतने पशुओं के संरक्षित होने के बावजूद बड़ी संख्या में आवारा पशु उनकी फसलों को चट कर रहे हैं।

    अफसरों का दावा, जो गोवंश बाहर वह बाद में छोड़े गए
    छुट्टा जानवर जहां लोगों के लिए मुसीबत बने हुए हैं। वहीं, अफसरों का दावा है कि उनके सर्वे में जितने मवेशी मिले थे उनको गोआश्रय स्थलों तक पहुंचाया गया है। दिसंबर में सर्वे किया गया था। चार हजार से अधिक मवेशी बाहर घूम रहे थे। उस वक्त 61 गोशाला थीं। ऐसे में अब तक कुल 101 गोशालाएं हो चुकी हैं, जिनमें सभी को संरक्षित किया गया है।

    सरकारी रिकॉर्ड
    जिले में कुल गोशालाएं…………………….101
    गोशालाओं में पशु रखने की क्षमता……20000
    गोशालाओं में अब तक संरक्षित पशु…..22500

    तीन दिन जिले में रहकर गोशालाओं का हाल जानेंगे नोडल अधिकारी
    जिले में चल रही गोशालाओं और अब तक संरक्षित किए गए पशुओं के भरण पोषण की व्यवस्थाओं के निरीक्षण के लिए शासन ने अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी यूपीडा श्रीश चंद्र वर्मा को खीरी का नोडल अधिकारी बनाया है। बुधवार को उन्होंने जिले में पहुंचकर संबंधित अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक कर गोशालाओं में संरक्षित पशुओं की व्यवस्था जानी। साथ ही उनके संरक्षण के लिए भूसा संरक्षण आदि की जानकारी ली। नोडल अधिकारी गोशालाओं में पानी, हरा चारा, चिकित्सा सुविधा का भी आकलन किया।

    नोडल अधिकारी मुख्य रूप से यह पता लगाएंगे कि अब तक कितने प्रतिशत पशुओं को गोआश्रय स्थलों में संरक्षित किया जा चुका है और कितने प्रतिशत निराश्रित हैं। नोडल अधिकारी पांच से सात अप्रैल तक जिले में रहेंगे। नोडल अधिकारी श्रीश चंद्र वर्मा कई गोशालाओं का निरीक्षण कर गौशाला में क्षमता से अधिक गोवंश रखने पर नाराजगी जताई।

    जिले में बनेगा एक और वृह्द गोसंरक्षण केंद्र
    लखीमपुर खीरी। जिले में एक और गोसंरक्षण केंद्र बनेगा शासन ने इसके लिए न केवल मंजूरी दी है, बल्कि 80 लाख रुपये की धनराशि भी अवमुक्त कर दी है। यह गोसंरक्षण केंद्र कादीपुर में बनेगा। इसके लिए स्थान का भी चयन कर लिया गया है। सीवीओ डॉ. सोमदेव सिंह चौहान ने बताया कि गोआश्रय स्थल निर्माण के लिए लखनऊ की कार्यदायी संस्था सहकारी संघ लखनऊ को नामित किया गया है। सीवीओ ने बीडीओ और नायब तहसीलदार के साथ बृहद गोसरंक्षण केंद्र के लिए प्रस्तावित स्थल का निरीक्षण किया। संवाद

    आठ गोआश्रय स्थलों में रहते हैं 2035 गोवंश
    पसगवां। पसगवां ब्लॉक में आठ गोआश्रय स्थल हैं। इन्हें बाईकुंआ में 540, ढखौरामें 460, इब्राहिमपुर में 260, कसरावल में 260, गोबिंदापुर में 257, मकसूदपुर में 157,चौबियापुर में 50 और सेमराजानीपुर में 50 गोवंश हैं। सभी आठों गोआश्रय स्थलों में कुल 2035 गोवंश है। संवाद

    कहीं कम तो कहीं तादात से ज्यादा ठूंसे गए हैं गोवंश
    महेवागंज। छुट्टा गोवंश पर मुख्यमंत्री के तेवर देख फूलबेहड़ इलाके में सभी गोआश्रय सक्रिय हो गए हैं। फीड बैक के लिए लखनऊ से नोडल भी भेजे गए। आनन फानन गोआश्रयों की व्यवस्था चाक चौबंद कर दी गई है। बगैर इंतजाम सरवा और कुलहौरि गोआश्रय भी चालू कर दिए गए हैं। दाना, पानी, हरा चारा और सफाई पर विशेष जोर है। मकसोहा के अस्थायी गोआश्रय में 519, नगर पालिका के खम्बारखेड़ा गोआश्रय में 281, बसैगापुर में 490, कोरारा में 340 और नवनिर्मित सरवा में 27 और कुलहौरी में 07 गोवंश है। बीमार पशुओं की देखभाल के लिए ब्लॉक स्तर पर पशु चिकित्सधिकारियों की ड्यूटी लगी है। संवाद

    जिले में 101 गोशालाएं हैं, जिनकी कुल क्षमता लगभग 20,000 पशु रखने की है। अब तक इनमें 22500 पशु संरक्षित किए जा चुके हैं। पशुपालकों द्वारा लगातार पशु छोड़े जाने का सिलसिला जारी है। इससे जिले में अब भी छुट्टा पशु दिखाई दे रहे हैं। इन पशुओं को भी गोशालाओं में पहुंचाया जाएगा।
    – डॉ. सोमदेव सिंह चौहान, जिला मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी

    मितौली की बबौना व लोहन्ना गोशाला में गंदगी, लगी फटकार
    मितौली। शासन से नामित नोडल अधिकारी अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी (वरिष्ठ आईएएस) श्रीश चंद्र वर्मा, सह नोडल अधिकारी अपर निदेशक (पशुपालन) डॉ. पीएन सिंह ने मितौली की बबौना व लोहन्ना गोशाला का जायजा लिया। बुधवार को नोडल अधिकारियों ने गोवंश की वास्तविक संख्या एवं सुपुर्दगी में दिए गए गोवंश की संख्या का अभिलेखों से मिलान करते हुए सत्यापन किया। मितौली के बबौना गोआश्रय स्थल में गंदगी मिलने पर नोडल अधिकारी ने नाराजगी जताते हुए गोबर का ढेर इकट्ठा रहने पर डिस्पोजल करने का निर्देश दिया। तहसीलदार अमिता यादव, बीडीओ सूर्य प्रकाश मिश्रा, पशु चिकित्सक डा. अनुपम सहित काफी संख्या में अधिकारी कर्मचारी मौजूद रहे। संवाद

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