साढ़े तीन लाख के सॉफ्टवेयर से ढाई मिनट में चुरा लेते थे कार

    गाजियाबाद। विजयनगर थाना पुलिस ने अंतरराज्यीय वाहन चोर गिरोह के दो बदमाश गौरव भाटी उर्फ अमन निवासी पंचशील कालोनी और उमेश निवारी शाहपुर बम्हेटा को गिरफ्तार किया है। दोनों शातिर चाइनीज सॉफ्टवेयर के जरिए ढाई मिनट में मारुति की कोई भी कार चोरी कर लेते थे। यह गिरोह अब तक 200 से ज्यादा कारों को चोरी कर नेपाल, बिहार और पंजाब में बेच चुका है। पुलिस ने इनके पास से प्रताप विहार से चोरी हुई बलेनो और बुलंदशहर से चोरी की गई वैगन आर कार बरामद की हैं। एसीपी कोतवाली सुजीत राय ने बताया कि पकड़े गए बदमाश 2019 से वाहन चोरी की वारदात को अंजाम दे रहे हैं और करीब 200 से ज्यादा गाड़ियां चुराकर बेच चुके हैं। उनका निशाना गाजियाबाद, दिल्ली और एनसीआर के शहरों में ऐसी गाड़ियां होती थीं, जो कई-कई दिनों से गलियों में खड़ी रहती थीं। इनके निशाने पर सिर्फ मारुति कंपनी की कार होती थी। उन्होंने बताया कि बदमाशों ने चाइनीज एप नोएडा के एक व्यक्ति से खरीदा था। ऐसे एप और टूल कार कंपनियों और एजेंसियों के पास होते हैं। पकड़े गए वाहन चोरों का एक साथी दीपांशु चौहान निवासी बाबूगढ़, हापुड़ फरार हो गया। एसएचओ विजयनगर अनीता चौहान ने सोमवार सुबह डीपीएस चौराहा के पास से इन्हें गिरफ्तार किया है।

    ऐसे चुराते थे वाहन
    एसीपी सुजीत कुमार राय ने बताया कि पकड़े गए वाहन चोर एक टैबलेट रखते थे, जिसमें वह चाइनीज एप मौजूद था, जिसमें कार के इलेक्ट्रॉनिक कोड को डिकोड किया जाता था। वह कार का दरवाजा मास्टर चाभी से खोल लेते थे। इसके बाद टैबलेट को एक केबल के जरिए स्टेयरिंग के पास कार की ईसीएम से जोड़ लेते थे। वह एप के जरिए कार के स्टेयरिंग को अनलॉक कर लेते थे। स्टेयरिंग को अनलॉक करते ही किसी भी चाभी से कार स्टार्ट हो जाती थी और वह कार को लेकर फरार हो जाते थे। उन्होंने बताया कि दो सप्ताह पहले लुधियाना पुलिस ने इस गिरोह के चार-पांच लोगों को गिरफ्तार कर चोरी की 12 कार बरामद की थीं। इस गिरोह में करीब 20 से 25 लोग हैं। लुधियाना पुलिस ने इनके पास से फर्जी दस्तावेज बनाने के प्रिंटर व अन्य उपकरण भी बरामद किए थे।

    कपड़ों की फेरी लगाकर तलाशते थे कार

    पुलिस पूछताछ में वाहन चोर गौरव ने बताया कि वह बाइक पर कपड़ों की फेरी लगाता था। इसी बहाने कालोनियों में घरों के बाहर खड़े वाहनों की रेकी करता है। वह ऐसे वाहनों को चिह्नित करता था, जो कई दिन तक एक ही जगह पर खड़े रहते थे।

    एप से नंबर पता कर बना लेते थे फर्जी आरसी
    एसीपी सुजीत राय ने बताया कि चोरी की कारों को बिहार, नेपाल और पंजाब में बेचा जाता था। यह गिरोह पुरानी कार बेचने वाले एप से किसी भी ऐसी कार का नंबर पता कर लेते थे जो नई हो। इसके बाद फिर उसी कार के नंबर से खुद फर्जी आरसी तैयार कर लेते थे। इसके आधार पर ही कार के चेसिस और इंजन नंबर भी बदल लिए जाते थे। प्रताप विहार से चोरी की गई बलेनो कार का सौदा उन्होंने छह लाख रुपये में कर दिया था।

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