वो 7 मौके जब भारत को मिले गहरे घाव,पाकिस्तान की ‘शराफत’ पर क्यों नहीं किया जा सकता भरोसा.

    भारत का पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान (Pakistan) बढ़ते कर्ज से परेशान है. भूख से बेहाल है. आतंकियों को पनाह देकर दुनिया में बदनाम है. वह अपनी हर नाकामी के लिए भारत पर निशाना साधता रहा है, लेकिन अब अचानक से भारत के साथ रिश्ते सुधारने की बातें कर रहा है. आतंकवाद (Pakistan Terrorism) का पर्याय बन चुके पाकिस्तान की अब अमन और शांति में दिलचस्पी बढ़ गई है. इसके लिए वह भारत से आतंकी हमले और बीती बातें भूलने की गुहार लगा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi)ने भी जब दोस्ती का हाथ बढ़ाया, तो पाकिस्तान ने आतंकी हमले कर जख्मों को हरा किया है. अब वह PM मोदी को बुलाकर रिश्ते सुधारने की बात कर रहा है.

    भारत और पाकिस्तान दो ऐसे मुल्क हैं, जो एक साथ अंग्रेजों की गुलामी से आज़ाद हुए. बीते 75 सालों के इतिहास को खंगाले, तो ये कहने की जरूरत नहीं कि भारत आज कहां खड़ा है और पाकिस्तान किस हालत में हैं. करगिल जंग के वक्त पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे और वर्तमान में पाकिस्तान की सत्तारूढ़ पार्टी PML-N के सर्वेसर्वा नवाज शरीफ ने सार्वजनिक तौर पर भारत से रिश्ते सुधारने की वकालत कर दी है. शंघाई सहयोग संगठन (SCO समिट) के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर के दौरे के बाद भारतीय पत्रकारों से नवाज शरीफ ने कई शराफत भरी बातें की.

    नवाज शरीफ ने क्या कहा?
    नवाज शरीफ ने कहा, “भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर का पाकिस्तान दौरा एक नई शुरुआत है. शांति की प्रक्रिया रुकनी नहीं चाहिए. आप अपने पड़ोसियों को नहीं बदल सकते. लेकिन हमें अच्छे पड़ोसियों की तरह रहना चाहिए. हमने 75 साल गंवा दिए हैं, अगले 75 सालों के बारे में सोचें.”

    शरीफ ने कहा, “पहले ऐसी चीजें हुई हैं, जो नहीं होनी चाहिए थीं. भारत-पाकिस्तान के बीच कारोबार फिर शुरू हो. दोनों देशों के बीच क्रिकेट फिर से शुरू हो. इमरान खान की वजह से भारत से रिश्ते और खराब हुए. लेकिन हमें अतीत को पीछे छोड़कर भविष्य की ओर बढ़ना चाहिए.”

    नवाज क्यों हुए इतने शरीफ?
    नवाज शरीफ पाकिस्तान के उन गिने चुने नेताओं में से रहे हैं, जो भारत के साथ संबंधों को सामान्य बनाये रखने के लिए कई बार पैरोकारी कर चुके हैं. नवाज शरीफ इस बार जो शराफत का जामा पहनकर दोस्ती का हाथ बढ़ा रहे हैं, उसपर भारत बहुत संभलकर चलना चाहता है.

    पाकिस्तानी फौज की दखलंदाज़ी के कारण वहां की सरकारें कहती कुछ रही हैं और करती कुछ औ ही रही हैं. यानी पाकिस्तान की कथनी और करनी में हमेशा फर्क रहा है. इतिहास में ऐसे सबूत मौजूद हैं, जो बताते हैं कि भारत ने जब-जब पाकिस्तान से संबंध सुधारने की कोशिश की, उसकी पीठ में छुरा ही घोंपा गया.

    क्यों भरोसे के लायक नहीं पाकिस्तान?
    पाकिस्तान के अलग मुल्क बनने से लेकर शिमला समझौते और फिर लाहौर समझौते तक भारत को हमेशा सिर्फ धोखा और दगाबाजी ही मिली है. ऐसे 7 मौके आए, जब भारत ने दोस्ती का हाथ बढ़ाया और पाकिस्तान ने धोखा दिया:-

    पहला धोखा
    -पाकिस्तान ने अलग मुल्क बनते ही सबसे पहला धोखा दिया. 1947 में पाकिस्तान ने कश्मीर पर कब्जे के लिए कबाइलियों को भेजा. संघीय शासित कबायली इलाका (फाटा) पाकिस्तान का अर्द्ध स्वायत्त प्राप्त कबायली क्षेत्र था. यह 1947 से 2018 तक अस्तित्व में रहा. इसका विलय ख़ैबर पख़्तूनख़्वा में कर दिया गया. इस क्षेत्र में लगभग सभी पठान हैं.

    दूसरा धोखा
    -पाकिस्तान ने 1958 में भारत को दूसरा धोखा दिया. दोनों देशों के बीच कई अहम समझौते हुए थे. लेकिन इन समझौतों को तोड़ते हुए पाकिस्तान ने 1965 में जम्मू-कश्मीर पर हमला कर दिया.

    तीसरा धोखा
    -पाकिस्तान ने 1971 में भारत पर हवाई हमले किए. भारत ने इसका मुंहतोड़ जवाब दिया. बाद में पूर्वी पाकिस्तान अलग होकर बांग्लादेश बना.

    चौथा धोखा
    -भारत को पाकिस्तान की तरफ से चौथा धोखा 1999 में मिला. अटल बिहारी वाजपेयी ने पड़ोसी मुल्क से रिश्ते सुधारने की पहल की. वाजपेयी लाहौर पहुंचे, नवाज शरीफ को गले लगाया. लेकिन, इसके कुछ महीनों बाद पाकिस्तान ने करगिल में जंग छेड़ दी.

    पांचवां धोखा
    -पाकिस्तान ने 2001 में भारत को पांचवां धोखा दिया. परवेज मुशर्रफ को भारत आने का न्योता दिया गया था. मुशर्रफ आगरा आए, अटल बिहारी वाजपेयी से मिले. इसके कुछ ही महीनों बाद संसद पर आतंकी हमला हो गया.

    छठा धोखा
    -पाकिस्ता ने 2008 में छठा धोखा दिया. तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रिश्ते सुधारने की कोशिश की. लेकिन 26 नवंबर को पाकिस्तानी आतंकियों ने मुंबई पर हमला किया

    सातवां धोखा
    -2015 में PM मोदी ने पाकिस्तान से रिश्ते सुधारने की पहल की. काबुल से लौटते हुए PM मोदी ने फोन करके नवाज  शरीफ को बर्थडे विश किया. शरीफ तब अपनी नातिन की शादी के लिए लाहौर में थे. उन्होंने PM मोदी से लाहौर में मिलने की इच्छा जताई. मोदी भी राजी हो गए. काबुल से लौटते हुए मोदी अचानक लाहौर उतर गए. उन्होंने 90 मिनट तक नवाज शरीफ से मुलाकात की. इंटरनेशनल मीडिया में PM मोदी की डेप्लोमेसी को मास्टरस्ट्रोक बताया गया. लेकिन इसके अगले ही साल 2016 में पठानकोट में पाकिस्तान के आंतकियों ने वायुसेना एयरबेस पर हमला कर दिया.

    किन मुश्किलों से घिरा हुआ है पाकिस्तान?
    आतंक को पनाह देने वाला पाकिस्तान आज की तारीख में एक से बढ़ कर एक मुसीबतों से घिरा हुआ है. शायद ही कभी ऐसा हुआ हो जब पाकिस्तान में सियासी अस्थिरता न देखी गई हो. 10 अप्रैल 2022 को नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव सफल रहने के बाद प्रधानमंत्री इमरान खान सत्ता से बाहर हो गए. जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. इसके बाद बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए और कई दिनों तक पूरे पाकिस्तान में अफरातफरी मची रही.

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