दुनिया चांद-सितारों पर पहुंची हम कब्र और शराब पर अटके

हरिवंश राय बच्चन की रचना मधुशाला की यह पंक्तियाँ आज के वर्तमान हालात पर एकदम सटीक बैठती है. एक तरफ जहां पूरी दुनिया में होड़ इस बात को लेकर मची हुई है की AI के क्षेत्र में कौन सा देश आगे निकलेगा. एक तरफ जहां अमेरिका ग्रोक AI और चीन DEEPSEEK AI निकाल कर टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एक-दूसरे को पछाड़ने की कवायद में लगे है. एक तरफ जहां अमेरिकन एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर अंतरिक्ष में 286 दिन बिताकर वापस धरती पर लौट आये हो. वही हमारे देश में बवाल मचा है- 318 साल पहले मरे एक क्रूर मुग़ल बादशाह के नाम पर. हमारे देश के एक ऐसे राज्य जहां पानी की घोर किल्लत है, वहां के चुने हुए जनप्रतिनिधि मांग कर रहे हैं शराब की.

हमारे देश के अधिकतर राज्यों में राज्य सरकार के राजस्व में सबसे ज़्यदा पैसा शराब की बिक्री से आता है. राज्य सरकारें समय-समय पर शराब की बिक्री से मुनाफा बढ़ाने के लिए शराब नीति में बदलाव करती हैं. गांधी दर्शन के अनुसार शराब पीना किसी भी सभ्य समाज के लिए उचित नहीं है. लेकिन मौजूदा समय में शराब पीने का चलन ऐसा है कि 100 में 70 लोग पीने वाले ही मिलेंगे. वहीं देश के कुछ राज्य में जैसे बिहार, गुजरात और भी कुछ अन्य जिनमें शराबबंदी है.

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