मध्य प्रदेश के दमोह जिले में स्वतंत्रता दिवस के मुख्य समारोह में उच्च शिक्षा मंत्री और जिले के प्रभारी मंत्री इंदर सिंह परमार के हाथों सम्मान लेने से एक पूर्व मीसा बंदी ने साफ इंकार कर दिया. मंत्री और कलेक्टर सुधीर कोचर भरे मैदान में मीसाबंदी संतोष भारती को मनाते रहे, लेकिन वो नहीं माने. सख्त लहजे में नाराजगी जताई और उंगली दिखाकर चेतावनी देते हुए मंत्री के हाथ में एक आवेदन दिया. इसके बाद समारोह छोड़कर चले गए.’रिश्वत नहीं दी तो रिकवरी निकाल दी’एनडीटीवी से बातचीत में संतोष भारती ने कहा, “मैं सम्मान का भूखा नहीं हूं. आज तक का रिकॉर्ड रहा है. जिन मूल्यों के लिए हमने संघर्ष किया पिछले 58 वर्षों से, चाहे कांग्रेस का शासन हो या बीजेपी का, न्याय के सत्याग्रही बने रहे हैं, मान-सम्मान के लिए नहीं.” भारती ने कहा कि मैं मंत्रीजी से कहने गया था कि 40 साल पहले 1984 में हमने एक निम्न श्रेणी आय वर्ग (लोअर इनकम ग्रुप) का घर खरीदा था. मैंने मंडल वालों को रिश्वत नहीं दी तो उन्होंने आगे की योजना में मुझे मनमाने तरीके से किरायेदार दिखा दिया. एक बार उन्होंने उन्होंने आगे कहा कि उसके बाद मैं कोर्ट गया. शासन ने भी हमारे पक्ष में फैसला दे दिया. हाईकोर्ट में भी मैं जीत गया, तब तो रजिस्ट्री करनी चाहिए न. मैं उम्रदराज हो गया हूं. अब लड़ नहीं सकता. मैं बच्चों के लिये क्या छोड़कर जाऊंगा. मैंने संपत्ति अधिकारी से भी हाथ जोड़ा, लेकिन आज तक रजिस्ट्री नहीं हुई.’सम्मान लेने नहीं, ज्ञापन देने गया था’संतोष भारती ने कहा कि मैं स्वतंत्रता दिवस समारोह में सम्मान लेने नहीं गया था. मैंने कभी किसी मंच पर जाकर सम्मान नहीं लिया. आज मेरे जाने का मकसद ज्ञापन देना और न्याय पाना था. भारती ने दावा किया कि वह देश के इकलौता ऐसे व्यक्ति हैं, जो तीन बार मीसाबंदी में जेल गए.