नैनीताल हाई कोर्ट ने सोमवार को जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद की वोटिंग के दौरान पांच सदस्यों के अपहरण मामले में एसएसपी प्रहलाद नारायण मीणा को जमकर फटकार लगाई. सियासी तौर पर रफा-दफा हो रहे इस मामले पर अब उत्तराखंड हाई कोर्ट बेहद सख्त है. चीफ जस्टिस जी नरेंद्र और जस्टिस आलोक मेहरा की बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि पोलिंग बूथ से महज 100 मीटर दूर यह घटना कैसे मुमकिन हुई. इस लापरवाही पर एसएसपी नैनीताल का ट्रांसफर क्यों न कर दिया जाए. एसएसपी मीणा ने जब सफाई देने की कोशिश की तो कोर्ट ने उन्हें फटकारते हुए कहा- क्या हम अंधे हैं? नैनीताल के जिलाधिकारी को भी हलफनामा दाखिल करने को कहा गया है. अगवा किए गए पांचों जिला पंचायत सदस्यों को भी सोमवार को कोर्ट में पेश किया गया. अपहरण की घटना के बाद पांचों ने एक वीडियो में कहा था कि वे अपनी मर्जी से घूमने गए हैं. कोर्ट इस पर भी बहुत नाराज नजर आयाजब जजों को बताया गया कि पांचों कोर्ट में हाजिर हो गए हैं, तो इस पर चीफ जस्टिस जी. नरेंद्र ने बेहद सख्त लहजे में कहा कि हम उनकी कहानी नहीं सुनना चाहते हैं. उनकी कहानियों का मोल एक कौड़ी भी नहीं है. वे अपना खंडन खुद ही कर चुके हैं.