उपराष्ट्रपति चुनाव में इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी के मुद्दे पर 50 से ज्यादा पूर्व जजों ने खुला पत्र लिखा है. इस पत्र में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लेकर कुछ रिटायर्ड जजों की टिप्पणियों पर कड़ा ऐतराज जताया गया है. पत्र में कहा गया है कि राजनीतिक बयानों से न्यायपालिका की गरिमा को नुकसान पहुंच रहा है. 56 पूर्व जजों ने जारी किया खुला पत्र यह ओपन लेटर देश के 56 पूर्व जजों के हस्ताक्षर से जारी किया गया है. इनमें पूर्व चीफ जस्टिस पी. सदाशिवम, रंजन गोगोई और सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट के कई पूर्व न्यायाधीश शामिल हैं. इन रिटायर्ड जजों ने कहा कि कुछ पूर्व न्यायाधीशों द्वारा बार-बार राजनीतिक बयान देना और न्यायिक स्वतंत्रता के नाम पर पक्षपातपूर्ण रुख अपनाना न्यायपालिका की गरिमा और निष्पक्षता को नुकसान पहुंचा रहा है. याद दिला दें कि गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी के सुप्रीम कोर्ट का जज रहते हुए सलवा जुडूम पर दिए गए फैसले को लेकर टिप्पणी की थी. शाह ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज सुदर्शन रेड्डी वही व्यक्ति हैं, जिन्होंने नक्सलवाद की मदद की. उन्होंने सलवा जुडूम पर फैसला सुनाया. अगर वह फैसला नहीं आता तो नक्सली चरमपंथ 2020 तक खत्म हो गया होता. 18 पूर्व जजों ने रेड्डी का समर्थन कियाअमित शाह के इस बयान सुदर्शन रेड्डी ने कहा था कि वह नक्सल समर्थक बिल्कुल नहीं हैं और भारत का संविधान ही उनकी विचारधारा है. उनका कहना था कि सलवा जुडूम का फैसला सुप्रीम कोर्ट का फैसला था