कर्नाटक मंत्रिमंडल ने न्यायमूर्ति पी.एन देसाई आयोग की रिपोर्ट को कल स्वीकार कर लिया, जिसमें मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) द्वारा भूखंड के आवंटन में कथित अनियमितताओं के मामले में मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और उनके परिवार को “क्लीन चिट” दी गई है. कर्नाटक उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता वाले आयोग ने 31 जुलाई को अपनी रिपोर्ट मुख्य सचिव शालिनी रजनीश को सौंपी थी.रिपोर्ट में क्या कुछ कहा गयाकानून एवं संसदीय कार्य मंत्री एच.के. पाटिल ने कहा, “हमने (सरकार ने) न्यायमूर्ति पी.एन. देसाई की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग का गठन किया था, जिसने दो खंडों में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है. रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि मुख्यमंत्री और उनके परिवार के खिलाफ लगाए गए आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है. इसमें विभिन्न आधारों पर कुछ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा गया है. हमने (मंत्रिमंडल ने) रिपोर्ट और उसकी सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है.”कैबिनेट के फैसलों के बारे में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री और उनके परिवार को क्लीन चिट दे दी गई है. इससे पहले लोकायुक्त पुलिस ने भी सिद्धरमैया, उनकी पत्नी पार्वती और दो अन्य आरोपियों को इस मामले में क्लीन चिट दे दी थी. इस बीच, न्यायमूर्ति एच.एन नागमोहन दास आयोग की एक रिपोर्ट को भी मंत्रिमंडल के समक्ष रखा गया. इस आयोग ने 2019-20 से 2022-23 के बीच बृहद बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) द्वारा किए गए कार्यों में कथित विसंगतियों की जांच की थी. उस समय भाजपा सत्ता में थी.