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दशक बाद नक्सलियों की मांद में गूंजेगी लोकतंत्र की आवाज, माफिया-नक्सली पर नकेल का प्लान तैयार

झारखंड सीमा से सटे बिहार के नवादा के दनिया गांव में, एक दशक बाद फिर गूंजेगा मतदान का उद्घोष. साल 2014 में नक्सली हमले के बाद से निष्क्रिय पड़े इस बूथ पर इस बार आयोग ने कड़ा रुख अपनाया है. अब की बार न दहशत हावी होगी, न लोकतंत्र झुकेगा. 2025 के विधानसभा चुनाव में दनिया सहित झारखंड सीमा से सटे 20 संवेदनशील बूथों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम के साथ वोटिंग कराई जाएगी.13 अप्रैल 2014 को दनिया बूथ से लौट रही पोलिंग पार्टी पर कौआकोल के हदहदवा जंगल में नक्सलियों ने घात लगाकर हमला कर दिया था. भले ही जानमाल का नुकसान नहीं हुआ, लेकिन तब से यह इलाका चुनावी नक्शे से गायब हो गया. मतदान टाल दिए गए और ग्रामीणों ने विरोध में मतदान बहिष्कार का ऐलान कर दिया.

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