आरोपियों की सहमति के बिना नार्को एनालिसिसि टेस्ट नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये तरीका असंवैधानिक है. इस तरह की बलपूर्वक तकनीकें मौलिक अधिकारों के मूल पर प्रहार करती हैं और इन्हें जमानत के चरण में भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. निचली अदालत ऐसी आक्रामक प्रक्रियाओं की अनुमति देकर खुद को “मिनी ट्रायल कोर्ट” में नहीं बदल सकती.जस्टिस संजय करोल और प्रसन्ना बी वराले की पीठ ने फैसला सुनाया कि हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता अमलेश कुमार की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सभी आरोपियों पर नार्को एनालिसिस टेस्ट कराने के जांच अधिकारी के प्रस्ताव को स्वीकार करके गलती की है. इस तरह का दृष्टिकोण संविधान के अनुच्छेद 20(3) और 21 का उल्लंघन करता है और सेल्वी बनाम कर्नाटक राज्य में निर्धारित कानून के विपरीत है.