सुप्रीम कोर्ट ने अपने प्रशासनिक ढांचे में ऐतिहासिक फैसला लेते हुए स्टाफ की सीधी भर्ती में अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग के लिए आरक्षण नीति लागू कर दी है. यह फैसला ऐसे वक्त आया है जब शीर्ष अदालत के कर्मचारियों की नियुक्तियों में समान प्रतिनिधित्व को लेकर वर्षों से आवाज उठती रही है. अब इस नीति के तहत सुप्रीम कोर्ट स्टाफ में SC को 15% और ST को 7.5% आरक्षण मिलेगा.इस बीच OBC वर्ग को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिए हैं कि भविष्य में आरक्षण लागू करने की दिशा में कदम उठाए जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री को इस दिशा में आवश्यक तैयारी करने के निर्देश भी दिए गए हैं. हालांकि, यह आरक्षण नीति सिर्फ कर्मचारियों के लिए है, न्यायाधीशों की नियुक्तियों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.नए आदेश के तहत 200 प्वाइंट रोस्टर प्रणाली 23 जून 2025 से लागू कर दी गई है, जिसे कर्मचारियों की सीधी भर्ती में लागू किया जाएगा. इस नीति को लागू करने में सुप्रीम कोर्ट को करीब 30 साल लग गए, जबकि इस पर संवैधानिक फैसला साल 1995 में ही आ चुका था.यह मामला 10 फरवरी 1995 के आरके सभरवाल बनाम पंजाब राज्य केस से जुड़ा है, जिसमें तत्कालीन सीजेआई ए.एम. अहमदी की अध्यक्षता में पांच जजों की पीठ ने यह स्पष्ट किया था कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण के लिए 200-बिंदु-आधारित रोस्टर का पालन किया जाए. हालांकि यह आदेश अब जाकर 52वें मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बी.आर. गवई के कार्यकाल में अमल में आया है.