जिस बेटे को पाल पोसकर किया बड़ा, वो ही बना जान का दुश्मन; दर्दनाक है आजमगढ़ की ये कहानी

    आजमगढ़ जिले का धंधारी गांव तिहरे हत्याकांड के गम से उबर नहीं सका है। माता-पिता और छोटी बहन की कुल्हाड़ी से गर्दन काटकर हत्या करने वाला युवक फरार है।

    जिस बेटे को प्यार से पाल पोसकर इतना बड़ा किया, वो ही परिवार का दुश्मन बन जाएगा ऐसा किसी ने भी नहीं सोचा था। यूपी के आजमगढ़ जिले के धंधारी गांव में शनिवार रात हुए तिहरे हत्याकांड से ग्रामीण सकते में हैं। लोग यह समझ नहीं पा रहे हैं कि उनके बीच ही रहने वाला युवक मामूली सी बात में खून का प्यासा कैसे हो सकता है। वो अपने माता-पिता और छोटी बहन को कैसे बेरहमी से मौत के घाट उतार सकता है। जिसने पैदा किया उसकी हत्या करते वक्त क्या हाथ नहीं कांपे थे। छोटी बहन जिससे वो बहुत प्यार करता था, उसकी जान कैसे ले सकता है।

    पिता का शव बरामदे में, मां का दरवाजे पर और बहन का रक्तरंजित शव कमरे में मिला था। इससे माना जा रहा है कि बेटे ने पहले पिता को कुल्हाड़ी मारा होगा, फिर बचाने आ रही मां को दरवाजे पर मार डाला होगा। फिर बहन दौड़ी होगी, तो उसे दौड़ाते हुए कमरे में ले जाकर उसकी जान ली होगी। वारदात के बाद आरोपी बेटा फरार है।

     

    जिंदा बची किशोरी बोली- मुझे भी उठा लो भगवान

    इस तिहरे हत्याकांड के बाद से पूरे गांव में मातम है। घटना वाली रात घर में नहीं रहने के कारण जिंदा बची 15 वर्षीय किशोरी का रो-रोकर बुरा हाल है। माता-पिता और बहन की हत्या हो गई। भाई फरार है। भविष्य की बातें करते-करते कहती है- हे भगवान ये दिन क्यों दिखाया? मुझे भी उठा लो। मेरी जिंदगी नर्क हो गई।

    रोते-बिलखते किशोरी की ये बातें सुनकर उसे ढाढस बंधाने वाले लोग भी फफक पड़ रहे हैं। शवों का अंतिम संस्कार तो रविवार रात हो गया लेकिन मातम का अंत अभी नहीं हुआ है। ये घटना अपने पीछे ढेर सारे सवाल छोड़ गई है। पुलिस आरोपी की तलाश में जुटी है।
    कप्तानगंज थाना क्षेत्र के धंधारी गांव निवासी भानू प्रताप सिंह गांव के बाहर सड़क के किनारे मकान बनाकर परिवार के साथ रहते थे। उन्होंने शनिवार को पुत्र राजन सिंह (20) को चोरी के गेहूं बेचने पर डांटा था। इस बात से वह क्षुब्ध हो गया। उसने शनिवार की रात ही पिता भानू प्रताप सिंह (48), मां सुनीता देवी (45) और बहन राशि सिंह (13) वर्ष को कुल्हाड़ी से वार करके मार डाला।
    एक और बहन नानी के घर गई हुई थी। वारदात को अंजाम देने के बाद वह घर से फरार हो गया। आबादी से दूर सड़क किनारे मकान होने के कारण किसी को रात में परिवारवालों की चीख-पुकार सुनाई नहीं दी। सुबह गांव वाले टहलने निकले तो भानू प्रताप के घर पर सन्नाटा पसरा था। घर का दरवाजा खुला हुआ था। कुछ लोग परिवार के सदस्यों का हाल जानने भीतर गए और वहां का दृश्य देखकर स्तब्ध रह गए।

    घटनास्थल का मंजर देख लोग सहम उठे। घर में हर ओर खून ही खून था। सूचना पर पहुंची पुलिस ने शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। भानू प्रताप के बड़े भाई भूपति सिंह की तहरीर पर राजन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया। देर शाम पोस्टमार्टम के बाद शवों का राजघाट पर एक ही चिता पर अंतिम संस्कार कर दिया गया। भूपति सिंह ने ही शवों को मुखाग्नि दी।

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