यूपी के नतीजों से पहले भाजपा पहुंची चुनाव आयोग, अखिलेश की उकसाने वाली भाषा पर उठाए सवाल, कहा- हार के डर से बौखला गए हैं अखिलेश

    उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों से पहले केंद्रीय मंत्री और प्रदेश के चुनाव प्रभारी धर्मेद्र प्रधान की अगुआई में भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को चुनाव आयोग से मुलाकात की। साथ ही मतगणना में व्यवधान डालने और हिंसा की कोशिश कर रहे अराजक तत्वों से सख्ती से निपटने की मांग की। प्रधान ने कहा कि हार के डर से समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव बौखला गए हैं। वह लोगों को उकसाने और अधिकारियों को धमकाने की कोशिश कर रहे हैं।

    प्रतिनिधिमंडल में केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और जी. किशन रेड्डी भी शामिल थे। धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि अखिलेश ने हमारी संवैधानिक व्यवस्था पर अविश्वास प्रकट किया और उसे ध्वस्त करने का पूरा प्रयास किया है। प्रजातंत्र में यह मानसिकता बहुत खतरनाक है। इसी प्रक्रिया से कई दल चुनाव जीते हैं। प्रजातंत्र में जनता का फैसला सर्वोपरि है। एक्जिट पोल किसी पार्टी की व्यवस्था नहीं है। कभी-कभी एक्जिट पोल सही दिखता है और कभी-कभी गलत भी दिखाता है। उनकी जो भाषा है, वह बहुत खतरनाक है।

    धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि चुनाव आयोग से हमने निवेदन किया है कि इस प्रकार की मानसिकता खतरनाक है। जिन इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) का इस्तेमाल किया गया है, उन सभी के नंबर उपलब्ध हैं। सभी पार्टियों के प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर भी उन ईवीएम पर उपलब्ध हैं। सर्विलांस है। इसके बाद भी प्रशिक्षण के लिए ले जाई जा रहीं ईवीएम को लेकर जो हिंसा की गई, उसकी शिकायत की गई है।

    प्रधान ने कहा कि हमने चुनाव आयोग से अपील की है कि जो हार से भयभीत हैं, जनता को उकसा रहे हैं और जो चुनाव आयोग को ध्वस्त करने की कोशिश कर रहे हैं, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। हमने चुनाव आयोग से कहा कि मतगणना हिंसा रहित होनी चाहिए। ऐसे अराजक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

    बता दें कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आरोप लगाया है कि एग्जिट पोल इसलिए ऐसा दिखा रहे हैं ताकि वोटों की चोरी को छुपाया जा सके। प्रमुख सचिव जिलों के जिलाधिकारियों पर दबाव डाल रहे हैं। अखिलेश ने कहा कि सभी नागरिकों को लोकतंत्र बचाने के लिए साथ आना चाहिए। सच्चे अधिकारी और पुलिस के लोग भी लोकतंत्र बचाने के लिए आगे आएं क्योंकि अगर इस बार लोकतंत्र नहीं बचा तो इसके बाद जनता को क्रांति ही करनी पड़ेगी।

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