अधिक आबादी होने के बाद भी नहीं दिया गया था OBC को पूरा आरक्षण, सरकार ने सार्वजनिक की आयोग की रिपोर्ट

    रैपिड सर्वे में कई नगर निकायों में अधिक आबादी होने के बाद भी पिछड़ी जाति को 27 प्रतिशत आरक्षण नहीं दिया गया था।

    निकाय चुनाव के लिए पिछड़े वर्ग की संख्या की गणना कराने के लिए नगर विकास विभाग द्वारा कराए गए रैपिड सर्वे में कई नगर निकायों में अधिक आबादी होने के बाद भी पिछड़ी जाति को 27 प्रतिशत आरक्षण नहीं दिया गया था। इसका खुलासा उप्र राज्य स्थानीय निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट में किया गया है। इसमें यह भी कहा गया है कि नगर निगम में तो 25.58 प्रतिशत आरक्षण ही ओबीसी को मिला है, जबकि कई नगर पालिका व नगर पंचायत में आबादी अधिक होने के बावजूद पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण नहीं दिया गया।

    हाईकोर्ट के निर्देश पर नगर विकास विभाग ने सोमवार को पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिया है। इसे नगर विकास विभाग की वेबसाइट https://urbandevelopment.up.nic.in पर देखा जा सकता है। रिपोर्ट में पेज संख्या 120 पर आयोग ने जिलों में किए गए दौरे के दौरान मिली शिकायतों का हवाला देते हुए लिखा है कि आरक्षण की चक्रीय व्यवस्था में तमाम खामियां सामने आई हैं। शासन द्वारा 5 दिसंबर को जारी प्रस्तावित आरक्षण के लिए कराए गए रैपिड सर्वे और चक्रानुक्रम व्यवस्था पर भी आयोग ने सवाल उठाए हैं। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का कई बार जिक्र किया है कि आयोग के सदस्य जिस भी जिले में दौरे पर गए।

    हर जिले में आरक्षण के रोटेशन पर लोगों ने सवाल उठाए। कोई भी ऐसा निकाय नहीं था, जहां इस तरह की आपत्तियां न उठाई गई हों। रिपोर्ट में कहा गया है कि जिलों के दौरे के दौरान आयोग ने पाया कि प्रयागराज, हरदोई, महराजगंज, बिजनौर, महाराजगंज, समेत तमाम निकायों में महापौर और अध्यक्ष की सीटों के आरक्षण में आबादी को नजरअंदाज किया गया है। बहुत से निकाय प्रमुखों की सीटें लगातार कई चुनाव से एक ही वर्ग के लिए आरक्षित होती आ रही हैं। इन सीटों पर एक बार भी पिछड़ों को प्रतनिधित्व नहीं दिया गया है। जबकि, बहुत सी सीटों पर पिछड़ों की आबादी 50 फीसदी से अधिक है। रिपोर्ट में पेज संख्या 120 पर आयोग ने साफ तौर पर कहा है कि दौरे में कई ऐसे शहरी निकायों के बारे में जानकारी मिली है कि वहां पर चार-पांच चुनावों से सीटें अनारक्षित ही रखी गई हैं।

    हर चुनाव में आयोग गठित करने की सिफारिश

    पेज संख्या 122 पर आयोग ने सिफारिश की है कि ओबीसी की आबादी या 27 प्रतिशत जो भी कम हो, उतना प्रतिनिधित्व ओबीसी को दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही यह भी संस्तुति की है कि निकाय चुनाव के लिए प्रत्येक पांच साल पर एक आयोग का गठन किया जाए। आयोग बनाकर ओबीसी के राजनीतिक पिछड़ेपन की स्थिति जांचने की सिफारिश की है।

    पूर्वांचल में पिछड़ों की सबसे अधिक 42.19 प्रतिशत आबादी

    आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक पूर्वांचल में पिछड़ों की सर्वाधिक आबादी लगभग 42.19 प्रतिशत है। जबकि, मध्य यूपी में सबसे कम 27.55 प्रतिशत है। रिपोर्ट में बताया गया है कि सभी 762 नगरीय निकायों में पिछड़ों की कुल आबादी 36.77 प्रतिशत है। सामान्य वर्ग की जनसंख्या 49.43 प्रतिशत है। बुंदेलखंड में 38.63 प्रतिशत व पश्चिम उत्तर प्रदेश में 37.53 प्रतिशत ओबीसी की जनसंख्या मिली है। 17 नगर निगमों में ओबीसी की आबादी 25.58 प्रतिशत व 200 नगर पालिका परिषद में 42.29 प्रतिशत व 545 नगर पंचायतों में 49.55 प्रतिशत है।

    शहरी क्षेत्रों में जातिगत आबादी
    श्रेणी   एससी एसटी, ओबीसी सामान्य कुल
    नगर निगम  2828798 42103 5206624 12273405 20350930
    पालिका परिषद  2052050 27190 7179605 7716330 16975175
    नगर पंचायत  1610881 33741 5188571 3638436 10471629

    निकायों में श्रेणीवार पिछड़ों की आबादी
    नगर निगम : 25.58%
    नगर पालिका परिषद : 42.29%
    नगर पंचायत : 49.55%

    बसपा, आप और कांग्रेस नहीं पहुंचे आयोग के सामने

    निकाय चुनाव में आरक्षण को लेकर रायसुमारी के लिए बुलाए जाने पर सिर्फ तीन राजनीतिक दल के प्रतिनिधि ही आयोग के समक्ष उपस्थित हुए। इनमें भाजपा, सपा और रालोद शामिल हैं। जबकि आयोग के बुलाने पर भी बसपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टी के प्रतिनिधियों ने राय नहीं रखी। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में पेज संख्या 93 में इसका जिक्र किया है।

    NO COMMENTS

    LEAVE A REPLY

    Please enter your comment!
    Please enter your name here

    Exit mobile version