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पुतिन का डर, जेलेंस्की की भूल और नफरत का ‘नाटो-नाटो’, पढ़िए यूक्रेन-रूस युद्ध की पूरी कहानी

यूक्रेन की ग़ैर मौजूदगी में यूक्रेन की किस्मत पर सऊदी अरब की राजधानी रियाध में अमेरिका और रूस के बीच हुई बातचीत ख़त्म हो गई है. क़़रीब साढ़े चार घंटे चली इस बातचीत के बाद रूस ने अपनी सबसे बड़ी चिंता एक बार फिर से साफ़ कर दी. रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा है कि यूक्रेन में नाटो देशों की सेनाओं की तैनाती उसे किसी हाल में मंज़ूर नहीं होगी. आपको बता दें कि जिस समय ये बात चल रही थी यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदोमीर ज़ेलेंस्की संयुक्त अरब अमीरात के दौरे के बाद तुर्की पहुंचे हुए थे और बुधवार को वो ख़ुद भी सऊदी अरब जाने वाले थे, लेकिन वो दौरा उन्होंने रद्द कर दिया है.इस बीच रियाध में अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो की अध्यक्षता में आए प्रतिनिधिमंडल ने रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के नेतृत्व में आए प्रतिनिधिमंडल से लंबी बातचीत की. पूरी दुनिया की निगाहें इस बातचीत के नतीजों पर लगी रहीं, क्योंकि इसके आधार पर रूस-यूक्रेन युद्ध के आने वाले दिन तय होने हैं. बैठक के बाद रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहले पश्चिमी नेता हैं, जिन्होंने कहा कि यूक्रेन को नाटो में खींचना ही इस पूरी समस्या की वजह है और ये अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन की सबसे बड़ी ग़लती है. अगर ट्रंप सत्ता में होते तो ऐसा कभी नहीं होता. सर्गेई लावरोव ने कहा कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन कई बार कह चुके हैं कि नाटो में यूक्रेन को शामिल करना रूस और उसकी संप्रभुता के लिए सीधा ख़तरा है. रूस ने आज की बैठक में साफ़ कर दिया कि नाटो देशों की सेनाएं चाहे किसी भी झंडे के नीचे यूक्रेन में आएं, उससे कुछ बदलने वाला नहीं है और ये रूस को किसी हाल में मंज़ूर नहीं होगा.

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