महाराष्ट्र में शनिवार को एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम देखने को मिला जब 20 साल बाद उद्धव ठाकरे औ राज ठाकरे एक साथ आए. इनके ‘राजनीतिक मिलन’ पर लोगों ने अलग-अलग तरह से टिप्पणी की. वहीं मुंबई से हजारों किलोमीटर दूर एक शख्स था जो इनकी मुलाकात से काफी खुश है. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने चचेरे भाई उद्धव और राज ठाकरे के एक साथ आने का स्वागत किया है और इसकी वजह वजह है हिंदी का विरोध. स्टालिन राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तीन-भाषा घटक के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व कर चुके हैं. वह अक्सर इसे भाजपा की तरफ से ‘हिंदी थोपने’ का प्रयास कहते आए हैं. वहीं उद्धव और राज भी हिंदी के विरोध में हैं. शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे ने महाराष्ट्र सरकार की तरफ से तीन भाषा घटक का विरोध किया था. जब पिछले दिनों सरकार ने इस आदेश को लागू करने वाला आदेश वापस लेने का ऐलान किया तो उद्धव और राज ठाकरे के लिए यह किसी जीत से कम नहीं था. अपनी जीत को का जश्न मनाने के लिए ही शनिवार को ‘मराठी की आवाज’ रैली का आयोजन किया. दोनों चचेरे भाई, जिन्होंने 2005 के बाद पहली बार एक राजनीतिक कार्यक्रम में एक मंच साझा किया, गले मिले और घोषणा की कि उनके बीच ‘दूरी’ मिट गई है.