बिहार मतदाता (Bihar SIR) सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी SIR मामले में मंगलवार की सुनवाई पूरी कर सुप्रीम कोर्ट की बेंच उठने ही वाली थी कि मैराथन सुनवाई के अंत में अचानक हाई लेवल ‘ ड्रामा’ देखने को मिला. दरअसल, योगेंद्र यादव ने दो लोगों को अदालत में पेश कर दिया. एक पुरुष और एक वृद्ध महिला के साथ वो अदालत कक्ष में पहुंचे और बताया कि इन्हें भारत निर्वाचन आयोग द्वारा प्रकाशित ड्राफ्ट मतदाता सूची में मृत घोषित कर दिया गया है. यादव ने जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ से कहा कि इन्हें देखें उन्हें मृत घोषित कर दिया गया है. वे मृत प्रतीत नहीं होते. देखिए, वे जीवित हैं.उनके पास आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज़ भी हैं, लेकिन उन्हें ड्राफ्ट मतदाता सूची में शामिल नहीं किया गया. मैं इससे ज्यादा क्या कह सकता हूं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में ज़्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई और उन्हें वापस भेज दिया. जस्टिस बागची ने कहा, “यह अनजाने में हुई प्रक्रियात्मक त्रुटि का परिणाम हो सकता है, जिसे ठीक किया जा सकता हैभारत के चुनाव आयोग (Election Commission) की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने इस पर आपत्ति जताई और कहा कि वे उचित उपलब्ध माध्यमों और नियमों के अनुसार उपलब्ध कराए गए उपायों के माध्यम से मतदाता सूची में पुनः शामिल होने के लिए आवेदन कर सकते थे और यादव से कहा कि यह ड्रामा टीवी स्टूडियो में चल सकता है.