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संसद में 61 घंटे ही हो पाई चर्चा, जनता को हो गया कई सौ करोड़ का नुकसान

संसद का मॉनसून सत्र बेहद हंगामेदार रहा. लगातार 20 दिनों तक इंडिया ब्लॉक से जुड़े विपक्षी दलों ने SIR के मुद्दे पर लोक सभा और राज्य सभा के अंदर और बाहर जमकर हंगामा और प्रदर्शन किया. इसकी वजह से दोनों सदनों की कार्यवाही काफी बाधित हुई. राज्य सभा के डिप्टी चेयरमैन हरवंश ने मॉनसून सत्र के आखिरी दिन अपने समापन भाषण में कहा, “कुल मिलाकर, सदन केवल 41 घंटे 15 मिनट ही चल पाया. इस सत्र की प्रोडक्टिविटी निराशाजनक रूप से सिर्फ 38.88 प्रतिशत रही, जो गंभीर आत्मचिंतन का विषय है.”‘कोशिशों के बावजूद ये सत्र नहीं चल सका’उपसभापति हरिवंश ने कहा, “कोशिशों के बावजूद ये सत्र व्यवधानों के की वजह से प्रभावित हुआ, इससे बार-बार कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी. इससे न केवल संसद का बहुमूल्य समय बर्बाद हुआ, बल्कि सार्वजनिक महत्व के कई मामलों पर चर्चा और विचार-विमर्श संभव नहीं हो सका.”इस सत्र के दौरान राज्य सभा में बिना विस्तृत चर्चा के 15 बिल पारित हुए या उन्हें वापस किया गया. लोक सभा में सदन की प्रोडक्टिविटी और नीचे रही. लोक सभा स्पीकर ओम बिरला ने सत्र के समापन पर कहा, “ये हमारे लिए चिंतनीय विषय रहा कि इस सत्र की कार्यसूची में 419 तारांकित प्रश्न शामिल किए गए थे, पर लगातार व्यवधान के कारण केवल 55 प्रश्न ही मौखिक उत्तर हेतु लिए जा सके. हम सभी ने सत्र के प्रारंभ में तय किया था कि हम इस सत्र में 120 घंटे चर्चा और संवाद करेंगे. लेकिन, लगातार गतिरोध व नियोजित व्यवधान के कारण हम मुश्किल से 37 घंटे ही इस सत्र में काम कर पाए

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