शिवहर की राजनीति एक बार फिर सरगर्मी पर है. सवाल यह है कि क्या बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन का दबादबा बरकरार रह पायेगा. उनका कद उनके बेटे चेतन आनंद को जदयू से विधानसभा टिकट दिला पाएगी? 1995 से अब तक शिवहर की राजनीति में आनंद मोहन का प्रभाव निर्विवाद रहा है. दो बार सांसद रहते हुए उन्होंने इस क्षेत्र की राजनीति को नई दिशा दी. एकबात तो विरोधी भी दबे स्वर में स्वीकारते हैं कि आनंद मोहन किसी भी पार्टी से टिकट लें सकते है. पांच साल कोई तैयारी करे अंत मे आनंद परिवार का सदस्य टिकट लाने मे सफल रहता है.इसका जीता जागता उदाहरण लोकसभा चुनाव मे दिखा जहां तीन बार से लगातार भाजपा सांसद रहे रमा देवी का टिकट कटा जदयू से बतौर उम्मीदवार अपनी पत्नी लवली आनंद को टिकट दिला सांसद बना दिया. उससे पूर्व 2015 के चुनाव मे तकरीबन भाजपा के बतौर उम्मीदवार ठाकुर रत्नाकर राणा का टिकट कटा, यहां हम के टिकट से लवली आनंद को चुनाव लड़ाया. हलाकि उक्त चुनाव मे ठाकुर रत्नाकर के निर्दलीय चुनाव लड़ने के करने 400 वोट से लवली आनंद को हार का सामना करना पड़ा.