उनका कहना था कि चुनाव पार्टी कार्यकर्ताओं के हैं, नेताओं के नहीं. पार्टी कार्यकर्ता 140 सालों से कांग्रेस का झंडा अपने कंधों पर उठाए हुए हैं. बस एक ही उम्मीद और इच्छा है कि वो भी चुनाव लड़े. इसलिए, यह पार्टी कार्यकर्ताओं की लड़ाई है और उन्हें चुनाव लड़ने दिया जाना चाहिए. इसमें हमें उद्धव ठाकरे की शिवसेना के साथ नहीं जाना चाहिए और राज ठाकरे का तो सवाल ही नहीं उठता. कांग्रेस को अकेले ही लड़ना चाहिए भाई जगताप ने आगे कहा कि अब तक कांग्रेस ने कभी राज ठाकरे को शामिल करने की बात नहीं कही है और न ही कभी कहेगी. वो (शिवसेना यूबीटी) अकेले महाविकास अघाड़ी नहीं हैं. जब महाविकास अघाड़ी का गठन हुआ था, तब शिवसेना एकजुट थी और उद्धव ठाकरे उनके नेता थे, लेकिन अब दो शिवसेनाएं हैं.