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नेपाल बॉर्डर से सटा रीगा विधानसभा सीट सांस्कृतिक धरोहर और राजनीतिक रणनीति का है ‘संगम’

बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही इस क्षेत्र में सियासी हलचल तेज हो गई है. कृषि आधारित अर्थव्यवस्था और ग्रामीण मतदाताओं की बहुलता वाले रीगा में इस बार के चुनावी मुद्दे और उम्मीदवारों की रणनीति चर्चा का विषय बनी हुई है. 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने यहां पर कमल खिलाया था. हालांकि, इस बार इंडिया ब्लॉक ने भी अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और राष्ट्रीय जनता दल(राजद) नेता तेजस्वी यादव वोटर अधिकार यात्रा के माध्यम से जनसमर्थन जुटा रहे हैं. इनका दावा है कि इस बार उन सीटों पर भी जीत हासिल करेंगे, जहां पिछली बार हार हुई. इसमें रीगा विधानसभा भी एक सीट है. अगर बात इस बार के चुनाव की करें तो इस सीट पर कुल 68.30 फीसदी मतदान हुआ है. इस सीट पर इस बार कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला है. बीजेपी ने इस सीट से बैद्यनाथ प्रसाद को मैदान में उतारा है. वहीं, कांग्रेस ने अमित कुमार पर अपना दांव खेला है.इस चुनाव में बैद्यनाथ प्रसाद (बीजेपी) ने 33 हजार से ज्यादा मतों के अंदर से कांग्रेस के अमित कुमार को हराया है. रीगा विधानसभा बिहार की उन सीटों में से एक है जहां की जनसंख्या कृषि पर निर्भर है. हालांकि, हर साल यहां पर आने वाली बाढ़ किसानों की खेती पर पानी फेरने का काम करती है. विकास यहां पर कोसों दूर है. हालांकि, स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव और माता जानकी मंदिर के बन जाने से विकास उनके गांव-घर तक भी पहुंचेगा. सीतामढ़ी जिला नेपाल बॉर्डर से सटा हुआ है, और रीगा विधानसभा क्षेत्र की कहानी केवल राजनीति तक सीमित नहीं है. यह एक ऐसी भूमि है जहां माता सीता की पवित्र जन्मभूमि की आध्यात्मिकता, मिथिला की रंगीन कला और परंपराएं, और कृषि की मेहनतकश जिंदगी एक साथ सांस लेती हैं.

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