बिहार में एनडीए ने तीन चौथाई से भी अधिक जीत हासिल कर 2010 के ऐतिहासिक जनादेश की याद दिला दी. एनडीए को यह जीत प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी के नाम और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काम पर मिली है. महिला मतदाताओं का भरपूर समर्थन और गैर मुस्लिम, गैर यादव वोटों की गोलबंदी ने एनडीए की इस ऐतिहासिक जीत की नींव रखी. बिहार की जनता ने एक तरह से नीतीश कुमार को उनकी आखिरी राजनीतिक परीक्षा में डिस्टिंक्शन से पास कर दिया. यह बिहार में उनकी लोकप्रियता और उनके सुशासन के रिकॉर्ड को मिला जनता का जबर्दस्त समर्थन है. यह बात स्पष्ट हो गई थी कि एनडीए के लिए बिहार में नीतीश कुमार पर दांव लगाना फायदे का सौदा रहेगा. यही कारण है कि ऐन चुनाव के बीच ही एनडीए ने उनकी मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को लेकर तस्वीर साफ की. इसे लेकर एक लाइन तय की गई है और प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और बीजेपी अध्यक्ष की ओर से बार-बार कहा गया कि एनडीए नीतीश कुमार की अगुवाई में ही चुनाव लड़ रहा है और सीएम पद पर कोई वैकेंसी नहीं है.
