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नाइंसाफी, हम कभी नहीं भूलेंगे… ओवैसी को क्यों याद आया 6 दिसंबर 1992 को वो दिन

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अयोध्या के विवादित ढांचा विध्वंस की बरसी पर 6 दिसंबर 1992 के दिन को भारत के इतिहास का काला दिन करार दिया. उन्होंने कहा कि मैं आपको यह बताना जरूरी समझता हूं कि आज 6 दिसंबर है और हम सब जानते हैं कि 6 दिसंबर 1992 को क्या हुआ था. सुप्रीम कोर्ट को वादा करके कि बाबरी मस्जिद को हाथ नहीं लगाया जाएगा, फिर भी लोग जमा हुए. लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती समेत कई नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट को लिखित आश्वासन दिया था कि मस्जिद को नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा. लेकिन इसके बावजूद बाबरी मस्जिद को दुनिया की आंखों के सामने, पुलिस की मौजूदगी में शहीद कर दिया गया.सुप्रीम कोर्ट का फैसला और सवालओवैसी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि 22 और 23 दिसंबर 1949 को बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के मस्जिद में घुसकर मूर्तियां रखी गईं. फैसले के पेज नंबर 913 और 914 में लिखा है कि मस्जिद की शहादत ‘एग्रेसिव वायलेंस’ थी और यह ‘रूल ऑफ लॉ’ का उल्लंघन था. आज जब हम देखते हैं कि क्रिमिनल कोर्ट का फैसला आता है और बाबरी मस्जिद विध्वंस के सभी आरोपियों को बरी कर दिया जाता है, तो सवाल उठता है कि फिर 6 दिसंबर 1992 को मस्जिद किसने गिराई? और क्यों मोदी सरकार ने ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील नहीं की? हजारों लोग वहां जमा होकर मस्जिद को गिराते हैं और अदालत कहती है कि कोई दोषी नहीं है, यह न्याय का मजाक है.

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