लालू यादव-राबड़ी का राज आगे भी चलता, नीतीश कुमार के चहेते मंत्री ने बताया- उम्‍मीद छोड़ चुके थे लोग

    अरुण जेटली जैसा कुशल रणनीतिकार नहीं होता, तो शायद बिहार में लालू-राबड़ी का राज कुछ दिन और चल जाता। बिहार के सियासी बदलाव में उनकी भूमिका को हर कोई स्‍वीकार करता है। मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी और राज्‍य के सूचना एवं जनसंपर्क तथा जल संसाधन मंत्री संजय झा ने जेटली की ऐसी ही खूबियों को एक बार फिर से सार्वजनिक मंच पर साझा किया। आपको बता दें कि नीतीश कुमार को बिहार में बतौर एनडीए का नेता मान्‍यता दिलाने में जेटली ने बड़ी भूमिका निभाई थी। इसमें बिहार के भाजपा के नेता सुशील कुमार मोदी भी जरिया बने। इन दोनों नेताओं की भूमिका इसलिए अधिक महत्‍वपूर्ण हो जाती है कि तब नीतीश कुमार को भाजपा से अधिक अपनी ही पार्टी जदयू में विरोध झेलना पड़ा था।

    16 साल पहले बदलाव की उम्‍मीद छोड़ चुके थे लोग

    संजय ने कहा कि 16 साल पहले जब हर कोई यह कह रहा था कि बिहार में बदलाव नहीं हो सकता है तो नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए को यहां सत्ता तक पहुंचाने का काम कारगर रणनीति के तहत अरुण जेटली ने ही किया था। वर्ष 2005 के विधानसभा चुनाव में दूसरे चरण में मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार के नाम की घोषणा करवाने में अरुण जेटली की महत्वपूर्ण भूमिका थी। नीतीश कुमार के साथ मिलकर उन्होंने ऐसा प्रबंधन किया कि एनडीए सत्ता तक पहुंचा। दरभंगा एयरपोर्ट और वहां एम्स लाने में उनका बड़ा योगदान रहा।

    भाजपा और जदयू को दोबारा साथ लाने में निभाई अहम भूमिका

    संजय ने कहा कि व्यक्तिगत संबंधों को जिस कुशलता और संजीदगी से वह निभाते थे, वह आज की राजनीति में बहुत कम देखने को मिलता है। जब कुछ समय के लिए जदयू और भाजपा की राहें अलग हो गयी थीं, तब भी उनके साथ नीतीश कुमार के संबंध प्रगाढ़ बने रहे। इस मौके पर विधान परिषद के कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह ने कहा कि राजनीतिक मूल्यों के प्रति अरुण जेटली की प्रतिबद्धता उनके व्यक्तिगत स्वभाव की खासियत थी। विधान पार्षद संजय पासवान ने भी इस अवसर पर अपने विचार रखे।

    जीएसटी लागू करने के लिए भी तारीफ

    राज्‍य सरकार के मंत्री संजय झा ने मंगलवार को कहा कि अरुण जेटली ने छात्र नेता से लेकर केंद्रीय मंत्री तक जीवन की हर भूमिका में संबंधित क्षेत्र पर अमिट छाप छोड़ी है। जीएसटी लागू करना उनकी कुछ प्रमुख उपलब्धियों में एक है। पूरे देश को उन्होंने एक टैक्स सिस्टम से जोड़ा। बिना किसी बड़े विवाद के इतनी बड़ी योजना को लागू करने का काम अरुण जेटली ही कर सकते थे। विधान परिषद के सभागार में कबीर के लोग व बिहार यंग थिंकर्स फोरम के तत्वावधान में प्रथम अरुण जेटली मेमोरियल लेक्चर में उन्होंने अपनी बात रखी।

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