‘गन्‍ना-जिन्‍ना-दंगा’ क्‍या होगा मुद्दा, मिशन-2022 के लिए वेस्‍ट UP को साध पाएगी बीजेपी?

    उत्‍तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा, सपा, कांग्रेस और बसपा सहित सभी राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है लेकिन वेस्‍ट यूपी में यह जंग लगातार जटिल होती जा रही है। कृषि कानूनों की वापसी के बाद भी आंदोलित किसान, अखिलेश-जयंत गठबंधन, अपने वोटरों के बीच गांवों से शहरों तक फैला बसपा का नेटवर्क और प्रियंका गांधी की सक्रिय राजनीति के साथ ही एक-एक सीट को मथने की भाजपा की रणनीति ने इस मुकाबले को रोचक बना दिया है।

    इस बीच गुरुवार को जेवर एयरपोर्ट के शिलान्‍यास के बहाने भाजपा ने एक बार फिर गन्‍ना किसानों को लुभाने की कोशिश की तो लोगों को पूर्व की सरकारों के समय हुए दंगों की याद भी दिलाई। इसके साथ ही ‘जिन्‍ना के अनुयायी’ बताकर विपक्ष खासकर सपा पर सीधा हमला भी बोला। जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के शिलान्‍यास के लिए ग्रेटर नोएडा पहुंचे पीएम नरेन्‍द्र मोदी ने पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश के लिए कई सौगातों का ऐलान किया। सीएम योगी ने भी ये सौगातें गिनाईं लेकिन इसके साथ ही पीएम मोदी-सीएम योगी ने यूपी चुनाव का एजेंडा भी सेट किया।

    गन्‍ना बेल्‍ट में गन्‍ने की बात

    वेस्‍ट यूपी के मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, बागपत, बिजनौर सहित ज्‍यादातर जिलों में गन्‍ना प्रमुख फसलों में से एक है। कैश क्रॉप मानी जाने वाली गन्‍ने की फसल का इस इलाके के किसानों की समृद्ध‍ि में खासा योगदान रहा है लेकिन बाद में चीनी मिलों की खस्‍ताहालत और बकाया भुगतान में देरी की उनकी प्रवृति के चलते किसानों की हालत खराब होती गई। गन्‍ना हर चुनाव में पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश के किसानों के बीच चर्चा का विषय बनता है। इस बार भी इसे मुद्दा बनाने की कोशिश हो रही है तो मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने अपने भाषण में इसका उल्‍लेख खासतौर पर किया। उनकी सरकार किसानों के बकाया भुगतान को अपनी उपलब्धि बताती रही है। मुख्‍यमंत्री ने बताया कि विकास की झड़ी लगाकर सरकार कैसे इस इलाके में किसानों के लिए गन्‍ने की मिठास बढ़ा रही है। इसके साथ ही उन्‍होंने जिन्‍ना और दंगा पर नाम लिए बगैर अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी को घेरने की पुरजोर कोशिश की।

    सीएम योगी ने कहा, ‘आज ये देश के अंदर नया द्वंद बना है कि देश गन्ने की मिठास को नई उड़ान देगा या जिन्ना के अनुयायियों से फिर दंगा करवाने की शरारत करवाएगा? और यही सब तय करने के लिए आज आप सबका आह्वान करने के लिए मैं खुद आपके बीच आय़ा हूं।’ जानकारों का कहना है कि गन्ने की मिठास का जिक्र करके सीएम योगी ने एक तरफ नाराज किसानों को खुश करने की कोशिश की तो दूसरी तरफ गन्ने की मिठास को विकास और भाजपा से जोड़ा। वहीं जिन्ना का मुद्दा उठाकर उन्‍होंने सीधे अखिलेश यादव पर निशाना साधने की कोशिश की। गौरतलब है कि कुछ समय पहले ही सपा के राष्‍ट्रीय के अध्‍यक्ष अखिलेश यादव ने जिन्ना का नाम गांधी, पटेल और नेहरू के साथ लिया था। इसके बाद से ही उत्‍तर प्रदेश में जिन्‍ना को लेकर नए सिरे से विवाद छिड़ गया।

    इसके अलावा सीएम योगी ने दंगे का जिक्र किया। जानकारों के मुताबिक उनका आशय 2013 में मुजफ्फरनगर में हुए दंगों से था। इन दंगों के बाद वेस्‍ट यूपी की पॉलीटिक्‍स में ध्रुवीकरण कहीं ज्‍यादा गहरा होता चला गया। जाट-मुस्लिम वोटरों के विभाजन के साथ ही वेस्‍ट यूपी के समीकरण बदल गए। नतीजा यह हुआ था कि 2017 के चुनाव में वेस्‍ट यूपी की 136 में 109 सीटों पर भाजपा जीत गई। बाद में रालोद के एकमात्र जीते विधायक ने भी भाजपा का दामन थाम लिया था। लेकिन भाजपा के लिए बड़ा सवाल ये है कि क्‍या पांच साल बाद आज के हालात में पार्टी के पास 2017 की जीत दोहराने की ताकत है। इसी ताकत को बढ़ाने के तहत पार्टी नेता विपक्ष पर हमलावर हैं और गन्‍ना-जिन्‍ना और दंगा के मुद्दे पर उसे घेर रहे हैं। जेवर की सभा में सीएम योगी ने सपा और कांग्रेस को परिवारवाद के मुद्दे पर भी घेरा। वहीं पीएम मोदी ने विकास के मुद्दे पर घेराबंदी करते हुए कहा कि पहले की सरकारें सिर्फ घोषणाएं करती थीं और विकास अपने परिवार का करती थीं। उन्‍होंने कहा, ‘हमारे देश में कुछ राजनीतिक दलों ने हमेशा अपने स्वार्थ को सर्वोपरि रखा है। इन लोगों की सोच रही है, अपना स्वार्थ। सिर्फ अपना खुद का, परिवार का या जहां वो रहते हैं उस इलाके का। उसी को वो विकास मानते थे। जबकि हम राष्ट्र प्रथम, नेशन फर्स्ट की भावना पर चलते हैं। सबका साथ, सबका विकास सबका विश्वास, सबका प्रयास। यही हमारा मंत्र है।’

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