अखिलेश यादव फिर कांग्रेस से करेंगे गठबंधन? क्यों मिल रहे संकेत

    समाजवादी पार्टी से सहयोगी दलों के रुठने व साथ छोड़ने की घटनाओं के बीच अखिलेश यादव निश्चिंत दिखाई देते हैं। उनका कहना भी है कि जो दल साथ आएंगे उनके साथ बीजेपी से मुकाबला किया जाएगा। उनकी बातों से साफ लगता है कि अखिलेश यादव अब नए सहयोगियों की तलाश में हैं। इस बीच बसपा से सपा के रिश्ते पहले की तरह तल्ख हैं, लेकिन कांग्रेस से पुरानी तल्खी अब बीते वक्त की बात हो गई है। अखिलेश यादव ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से ईडी की पूछताछ पर सख्त एतराज जताते हुए इसे लोकतंत्र के लिए खतरनाक बताकर कुछ ऐसे ही संकेत दे दिए हैं। अखिलेश यादव ने 2017 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ा था।

    लंबे समय बाद पहली बार सपा खुलकर सोनिया गांधी के पक्ष में आई है। गुरुवार को अखिलेश यादव ने साफ कहा कि ईडी और सीबीआई का प्रयोग महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों में भी किया गया है। विपक्ष के नेताओं को इन जांच एजेंसियों के माध्यम से परेशान किया जा रहा है। अब तो कांग्रेस की अध्यक्ष को भी ईडी ने बुला लिया है।

    कांग्रेस की अध्यक्ष को बुलाकर केन्द्र सरकार यह संदेश देना चाह रही है कि जो विरोध में बोलगा उस पर ईडी का इस्तेमाल होगा। भाजपा अब विपक्ष को भी बांटने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रही है। ईडी और सीबीआई के जरिए विपक्ष को बांटकर और डराकर रखना चाहती है।

    वैसे तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से ईडी कई दिनों से पूछताछ कर रही है। कांग्रेस इस मुद्दे पर संसद से लेकर सड़क तक विरोध कर रही है। अब अखिलेश यादव इस मुद्दे पर कांग्रेस के साथ खड़े दिख रहे हैं। माना जा रहा है कि आने वाले वक्त में यह दोनों दल एक बार फिर आपसी विरोध छोड़ कर नजदीक आते दिखें तो कोई हैरत की बात नहीं।

    सियासी जानकार मिशन- 2024 के लोकसभा चुनाव में दोनों दलो के भाजपा के खिलाफ चुनावी गठजोड़ करने की संभावना से भी इनकार नहीं कर रहे। वक्ती जरूरतें दोनों को एक साथ ला सकती हैं। कांग्रेस की स्थिति भी यूपी में बेहाल है। छोटे दलों में उनके साथ राष्ट्रीय लोकदल व अपना दल कमेरावादी ही है। ऐसे में कांग्रेस संग इन सबका गठबंधन बनने की संभावनाएं प्रबल हो सकती हैं।

    एकमुश्त मुस्लिम वोटों पर नजर

    सपा को विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोटों का काफी बड़ा हिस्सा मिला लेकिन उसके सामने बड़ी चुनौती बसपा भी है। जो सेंध लगाने का माद्दा रखती है। कुछ हिस्सों में कांग्रेस की भी इसकी दावेदार है। सपा की कोशिश है कि अगर कांग्रेस साथ आ जाए तो मुस्लिमों का एकमुश्त समर्थन मिल सकेगा। लोकसभा का चुनाव राष्ट्रीय परिपेक्ष्य व मुद्दों पर होता है, ऐसे में इस मुहिम का फायदा होगा।

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