सुप्रीम कोर्ट के पैनल ने कहा- केंद्र की मंजूरी के बिना दिल्ली कौशल विवि के लिए आवंटित की गई वन भूमि

    सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) ने कहा है कि शहर सरकार (दिल्ली सरकार) के पंचायत विभाग ने दक्षिणी दिल्ली के जौनापुर में एक विश्व स्तरीय कौशल केंद्र और दिल्ली कौशल विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए केंद्र सरकार की पूर्व स्वीकृति के बिना वन भूमि आवंटित की है।

    वन-भूमि में परिवर्तन के लिए केंद्र की मंजूरी आवश्यक

    वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के अनुसार, गैर-वानिकी उद्देश्यों के लिए वन भूमि के गैर-आरक्षण या बदलाव (डायवर्जन) के लिए केंद्र सरकार की पूर्व अनुमति आवश्यक है।

    ‘बार-बार याद दिलाने के बावजूद नहीं दिया जवाब’

    सीईसी ने कहा कि उसने पिछले साल जुलाई में दिल्ली के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा था और शहर सरकार ने ‘बार-बार याद दिलाने के बावजूद’ जवाब नहीं दिया था।

    डीडीए के रिकॉर्ड में ‘आवासीय’ के रूप में दिखाई गई वन भूमि

    इसमें कहा गया है कि प्रस्तावित कौशल केंद्र और दिल्ली कौशल विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए जौनापुर में 37.11 एकड़ की वन भूमि, प्रशिक्षण और तकनीकी शिक्षा विभाग को हस्तांतरित होने के बाद दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के रिकॉर्ड में ‘आवासीय’ के रूप में दिखायी गयी है।

    विचाराधीन भूमि ‘वन भूमि’ है : दिल्ली वन विभाग

    इसने 22 अगस्त को दिल्ली के मुख्य सचिव को लिखे पत्र में कहा, “वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 और सर्वोच्च न्यायालय के विभिन्न आदेशों का उल्लंघन करते हुए केंद्र सरकार की पूर्व स्वीकृति के बिना निदेशक, पंचायत, एनसीटी दिल्ली सरकार द्वारा गैर वन उपयोग के लिए वन भूमि आवंटित की गई है। दिल्ली वन विभाग ने सीईसी को यह भी बताया है कि विचाराधीन भूमि ‘वन भूमि’ है।

    पत्र में आगे कहा गया, बैठक में दिल्ली सरकार प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने फिर से पुष्टि की कि विश्व स्तरीय कौशल केंद्र और दिल्ली कौशल विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए जौनापुर में आवंटित 37.11 एकड़ भूमि भारतीय वन अधिनियम, 1927 की धारा 4 के तहत 1996 में जारी अधिसूचना का हिस्सा है।

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