अडाणी-हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीलबंद सुझाव नहीं किए स्वीकार, SC की कमेटी करेगी जांच; फैसला रखा रिजर्व

    अडाणी हिंडनबर्ग मामले पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। इस मामले में एडवोकेट एम एल शर्मा, एडवोकेट विशाल तिवारी और कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने याचिकाऐं दायर की हैं। आज सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कमेटी को लेकर दिये गये सुझाव के लिए रिपोर्ट तैयार की और इसकी कॉपी सील्ड कवर में सुप्रीम कोर्ट को सौंपी है। हालांकि कोर्ट ने शेयर बाजार के लिए नियामक उपायों को मजबूत करने के लिए विशेषज्ञों के एक प्रस्तावित पैनल पर केंद्र द्वारा सीलबंद कवर सुझाव को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और जे बी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि अदालत निवेशकों के हितों में पूरी पारदर्शिता बनाए रखना चाहती है।

    कोर्ट ने अपने पास रिजर्व रखा ऑर्डर

    आज सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने सवाल किया कि आप कह रहे हैं मार्केट पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है लेकिन आंकड़े बताते हैं कि निवेशकों को लाखों-करोड़ों का नुकसान हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी याचिकाकर्ताओं को सुना। इस दौरान एडवोकेट प्रशांत भूषण ने कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट बताती है कि ऑफशोर फंड्स का इस्तेमाल किया गया था और इसका प्रभावी रूप से मतलब था कि प्रमोटरों द्वारा रखे गए शेयरों का प्रतिशत सेबी के नियमों से अधिक था। सभी दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने कहा है कि वो एक कमेटी बनाएगी और इस कमेटी की डिटेल अदालत के ऑर्डर में सामने आएगी। हिंडनबर्ग मामले में कोर्ट की सुनवाई पूरी होने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया गया है।

    कोर्ट ने केंद्र से समिति के लिए मांगे थे सुझाव
    गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 10 फरवरी को कहा था कि अडाणी समूह के शेयरों की कीमतों में भारी गिरावट की पृष्ठभूमि में भारतीय निवेशकों के हितों को बाजार की अस्थिरता को देखते हुए संरक्षित करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही न्यायालय ने केंद्र से नियामक तंत्र को मजबूत बनाने के लिए एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में क्षेत्र के विशेषज्ञों की एक समिति बनाने पर विचार करने को कहा था। वकील एम एल शर्मा और विशाल तिवारी, कांग्रेस नेता जया ठाकुर और कार्यकर्ता मुकेश कुमार ने अब तक कोर्ट में इस मुद्दे पर चार जनहित याचिकाएं दायर की हैं।

    हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडाणी समूह के खिलाफ कई आरोप लगाए जाने के बाद, समूह के शेयरों की कीमतों में काफी गिरावट आई है। हालांकि, समूह ने उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों को खारिज किया है।

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