कांग्रेस का मिनी ‘घोषणा पत्र’, विपक्ष को साथ ले सत्ता में वापसी का प्रयास करेगी पार्टी

    छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के नवा रायपुर में कांग्रेस ने अपने 85वें राष्ट्रीय महाधिवेशन में आगे की तस्वीर साफ कर दी है। पार्टी द्वारा जारी किए गए ‘राजनीतिक मामलों पर संकल्प’ में इस साल होने कई राज्यों के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी की झलक दिखी है। कांग्रेस ने कहा है कि वह महात्मा गांधी की अंतिम प्रार्थना ‘मैं तुमसे कोई राज्य या स्वर्ग या किसी मुक्ति की मांग नहीं करता। मैं केवल एक चीज मांगता हूं- लोगों की पीड़ा से मुक्ति’ को अपना ध्येय वाक्य मानकर पूरे दमखम के साथ चुनाव मैदान में उतरेगी। कांग्रेस ने अपने राजनीतिक संकल्प में विपक्ष को साथ रखने का भी इशारा किया है। धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी ताकतों की एकता, कांग्रेस पार्टी के भविष्य की पहचान होगी। आम वैचारिक आधार पर एनडीए का मुकाबला करने के लिए एकजुट विपक्ष की तत्काल आवश्यकता है।

    दूसरी तरफ लम्बे समय से विपक्ष को एक मंच पर लाने का प्रयास कर रहे बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने शनिवार को एक रैली में कांग्रेस पार्टी से आग्रह करते हुए कहा, हम लोग तो कांग्रेस का ही इंतजार कर रहे हैं, जल्द से फैसला कर लीजिए।

    बड़े भाई की भूमिका निभा सकती है कांग्रेस

    नीतीश कुमार ने पूर्णिया में आयोजित महागठबंधन की रैली में कहा, अगर कांग्रेस सहित हम सब साथ आ जायें, तो भाजपा 100 के नीचे चली जाएगी। इसके लिए कांग्रेस पार्टी को तेजी दिखानी होगी। देश में लंबे समय से विपक्ष को एकजुट करने के प्रयास हो रहे हैं। नीतीश से पहले केसीआर भी ऐसे ही प्रयासों में लगे रहे हैं। कांग्रेस पार्टी और नीतीश कुमार ने एक ही दिन उक्त बयान दिया है। नीतीश का इशारा साफ है कि कांग्रेस पार्टी विपक्ष में बड़े भाई की भूमिका में रह सकती है। महाधिवेशन में कांग्रेस का संकल्प भी कुछ यही कहता है। कांग्रेस को समान विचारधारा वाली धर्मनिरपेक्ष ताकतों की पहचान करने, लामबंद करने और संरेखित करने के लिए पूरी ताकत लगा देनी चाहिए। हमें धर्मनिरपेक्ष क्षेत्रीय ताकतों को भी अपने साथ लेना चाहिए, बशर्ते वे हमारी विचारधारा से सहमत हों। कांग्रेस का यह बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि आगे की राजनीतिक लड़ाई में उसके लिए कोई पार्टी छोटी या बड़ी नहीं होगी। वह क्षेत्रीय पार्टियों को साथ लेकर चलेगी। कांग्रेस ने यह भी साफ कर दिया कि किसी तीसरी ताकत के उभरने से भाजपा/एनडीए को फायदा होगा। कांग्रेस की यह बात, आम आदमी पार्टी की एकला चलो राजनीति की तरफ संकेत करती है। गुजरात विधानसभा चुनाव के बाद, आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय दल का दर्जा मिल गया है।

    कांग्रेस बोली, 2024 में भाजपा से प्रतिस्पर्धा में नहीं

    कांग्रेस ने कहा, जहां हम प्रमुख विपक्षी दल हैं, वहां हमें एक जिम्मेदार और उत्तरदायी विपक्ष होना चाहिए। महाधिवेशन में कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि भविष्य की राजनीति में अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करेगी। पार्टी की विचारधारा स्पष्ट है कि जिसके साथ हमारे पूर्वजों ने आजादी के लिए संघर्ष किया, अपने प्राणों की आहुति दी और लोकतांत्रिक व्यवस्था को क़ायम रखा। भारत का विचार, पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा स्पष्ट रूप से निर्धारित किया गया है कि कांग्रेस धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद और संघवाद के लिए खड़ी है। कांग्रेस को वर्तमान ध्रुवीकृत राजनीति में केंद्र स्थान पर कब्ज़ा करके राजनीतिक डिस्कॉर्स को फिर से परिभाषित करना चाहिए। कांग्रेस ने अपने संकल्प पत्र में कहा कि 2024 में भाजपा के साथ कोई प्रतिस्पर्धा में नहीं है, यह काफी चौंकाने वाली बात है। ऐसा कहकर भाजपा नेता अहंकार के शिखर पर पहुंच गए हैं। यह सिर्फ कांग्रेस व अन्य पार्टियों के लिए ही नहीं, बल्कि भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए एक बड़ी चुनौती है। कांग्रेस इस चुनौती का स्वागत करती है।

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