केजीएमयू में जांच कराना निजी मेडिकल कॉलेज से भी महंगा, पीपीपी मॉडल मरीजों की जेब पर पड़ रहा भारी

    पीपीपी मॉडल पर पैथालॉजी जांच की व्यवस्था मरीजों की जेब पर भारी पड़ रही है। यह सब तब है जब
    चिकित्सा संस्थान को सरकार से औसतन एक हजार करोड़ रुपये सालाना अनुदान मिलता है।

    केजीएमयू में डॉक्टर से परामर्श भले ही एक रुपये के पर्चे पर मिल जाता हो, लेकिन पीपीपी मॉडल पर पैथालॉजी जांच की व्यवस्था मरीजों की जेब काट रही है। यहां कई जांचें निजी मेडिकल कॉलेजों एरा और इंटीग्रल से भी महंगी हैं। यह स्थिति तब है जब चिकित्सा संस्थान को सरकार से औसतन एक हजार करोड़ रुपये सालाना अनुदान मिलता है।

    केजीएमयू में पैथालॉजी, माइक्रोबायोलॉजी और रेडियोडाग्यनोसिस की जांच काफी हद तक पीपीपी आधार पर निजी एजेंसी से करवाई जाती है। केजीएमयू और एजेंसी में करार के अनुसार मिलने वाली टेस्ट फीस में दोनों का हिस्सा बराबर-बराबर है। जानकारों के अनुसार इसी कारण जांचों के दाम काफी ज्यादा हैं। उधर, एरा और इंटीग्रल मेडिकल कॉलेज जैसे निजी संस्थान भी केजीएमयू के मुकाबले सस्ती दर पर जांचें कर रहे हैं। इससे जाहिर है कि केजीएमयू में जांच के दाम काफी हद तक कम किए जा सकते हैं।

    रेट तय करने में पीजीआई को बनाते हैं आधार
    सुपर स्पेशियलिटी संस्थान के रूप में काम करने वाले संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में मरीजों की संख्या केजीएमयू के मुकाबले काफी कम है। ऐसे में सामान्य बात है कि केजीएमयू में ज्यादा जांच होने पर इनकी लागत भी कम हो जाती है, फिर भी जांच दर ज्यादा है। पीजीआई पेड इलाज के रूप में काम करने वाली संस्था है। इसके बावजूद केजीएमयू न सिर्फ इसके आधार पर अपने यहां जांच की दर तय करता है, बल्कि काफी टेस्ट उससे महंगी कीमत पर करता है।

    रोजाना करीब पांच हजार मरीजों की होती है जांच
    केजीएमयू में सामान्य दिनों की ओपीडी में करीब सात हजार मरीज आते हैं। इनमें से आधों की पैथालॉजी जांचें होती हैं। विभिन्न वार्ड में भर्ती करीब साढ़े चार हजार मरीजों को भी टेस्ट कराने होते हैं। ऐसे में रोजाना होने वाली जांचों का आंकड़ा पांच हजार के पार पहुंच जाता है। इसके बावजूद इसकी दर काफी ज्यादा है।

    जांच का नाम- एरा- केजीएमयू- इंटीग्रल मेडिकल कॉलेज
    जीआरएम स्टेन 60- 70- 50
    एचबीएसएजी कार्ड टेस्ट 100- 110- 75
    एचआईवी कार्ड टेस्ट 150- 155- 75
    प्रोलैक्टिन 250- 255- 300
    एस कोलेस्ट्रॉल 45- 65- 100
    थ्रोट स्वैब 50- 180- 80
    टॉर्च टेस्ट 600- 1120- 500
    यूरीन सीएस 50- 180- 100
    यूरीन फॉर सीएचवाईएलई 30- 40- 200
    यूरीन फॉर फंगल 15- 85- 100
    यूरीन फॉर प्रोटीन 80- 120- 25
    यूरीन फॉर शुगर 15- 40- 25
    यूरोफ्लोमेट्री टेस्ट 50- 300- 250
    विडाल टेस्ट 50- 60- 100

    किट की लागत से तय होती है जांच दर
    केजीएमयू के कुलपति ले. जनरल डॉ. बिपिन पुरी का कहना है कि एरा और मेडिकल कॉलेज में जांचों की दर की जानकारी नहीं है, पर केजीएमयू में न्यूनतम दर पर जांचें की जाती हैं। सरकार से सीमित बजट मिलने से निजी संस्था के सहयोग से जांचें होती हैं। ज्यादातर टेस्ट किट के माध्यम से होते हैं, जो काफी महंगी होती है। किट की लागत को देखते हुए ही जांच दर तय की जाती है।

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