‘मस्जिद में त्रिशूल क्या कर रहा’ ज्ञानवापी पर खुलकर बोले CM योगी, कहा- ऐतिहासिक गलती पर आगे आए मुस्लिम समाज

    उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आद‍ित्‍यनाथ ने ज्ञानवापी को मस्‍ज‍िद कहे जाने पर नाराजगी व्‍यक्‍त की है। मुख्‍यमंत्री ने साफ शब्‍दों में कहा क‍ि उसे मस्‍ज‍िद कहा जाएगा तो व‍िवाद होगा। मस्‍ज‍िद के अंदर त्र‍िशूल से लेकर देव प्रत‍िमायें मौजूद हैं। ये सब मस्‍ज‍िद में कहां से आए। इन्‍हें क‍िसी ने वहां पर नहीं रखा है। मुख्‍यमंत्री ने इसे एक ऐतिहासिक गलती करार द‍िया है।

    मुख्‍यमंत्री योगी आद‍ित्‍यनाथ ने ज्ञानवापी प्रकरण काशी विश्वनाथ मंद‍िर पर दो टूक जवाब द‍िया है। उन्‍होंने इस मामले में एक सवाल पर इंटरव्‍यू के दौरान हमलावर होते हुए कहा क‍ि अगर उसे मस्‍ज‍िद कहेंगे तो फ‍िर व‍िवाद होगा।

    मुख्‍यमंत्री ने साफ शब्‍दों में कहा क‍ि मुझे लगता है क‍ि भगवान ने ज‍िसे दृि‍ष्ट दी है वो देखे ना। त्र‍िशूल मस्‍ज‍िद के अंदर क्‍या कर रहा है। हमने तो नहीं रखे न। ज्योतिर्लिंग हैं देव प्रत‍िमायें हैं। पूरी दीवारें च‍िल्‍ला च‍िल्‍ला के क्‍या कह रही हैं।

    इतना ही नहीं मुख्‍यमंत्री ने यहां तक कहा क‍ि मुझे लगता है ये प्रस्‍ताव मुस्‍ल‍िम समाज की ओर से आना चाह‍िए क‍ि साहब ऐत‍िहास‍िक गलती हुई है। उसके ल‍िए हम चाहते हैं समाधान हो।

    क्‍या है ज्ञानवापी प्रकरण

    1991 में, काशी विश्वनाथ मंदिर के भक्तों द्वारा एक मुकदमा दायर किया गया था, जिसके पास ज्ञानवापी मस्जिद स्थित है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि मस्जिद का निर्माण मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश पर भगवान विश्वेश्वर मंदिर को नष्ट करने के बाद किया गया था।

    अंजुमन इस्लामिया मस्जिद कमेटी ने क‍िया था व‍िरोध

    इस मामले में एक याचिका अंजुमन इस्लामिया मस्जिद कमेटी (एआईएमसी) द्वारा दायर की गई थी, जो मस्जिद का प्रबंधन करती है। समिति ने पूजा स्थल अधिनियम, 1991 का हवाला देते हुए मामले की स्थिरता पर सवाल उठाया है। अधिनियम के अनुसार, 15 अगस्त 1947 को मौजूद पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र में परिवर्तन निषिद्ध है।

    ज्ञानवापी प्रकरण में 1991 में दायर की गई पहली याच‍िका

    1991 पूजा स्थल अधिनियम की तरह, इस मामले की जड़ें भी वर्ष 1991 में हैं। मामले में पहली याचिका स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर ने 1991 में वाराणसी अदालत में दायर की थी। याचिका में ज्ञानवापी परिसर में पूजा करने के अधिकार की मांग की गई थी।

    याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में तीन मांगें रखी थीं. इसमें पूरे ज्ञानवापी परिसर को काशी मंदिर का हिस्सा घोषित करना, परिसर क्षेत्र से मुसलमानों को हटाना और मस्जिद को ध्वस्त करना शामिल था।

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